Published On : Wed, Nov 8th, 2017

मोदी जैसे सामान्य व्यक्ति के आर्थिक सुधार को पचा नहीं पा रहे प्रख्यात अर्थशास्त्री सिंह – सीएम

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नागपुर:
नोटबंदी के फैसले को लेकर सरकार को घेरने वाले मनमोहन सिंह को राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जवाब दिया है। मुख्यमंत्री के मुताबिक मनमोहन सिंह विश्व के जाने वाले अर्थशास्त्री है लेकिन उनके शाषनकाल में देश की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा बदनाम हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए इस फैसले की वजह से अर्थव्यवस्था का फॉर्मलाइजेशन हो रहा है। मोदी ज़मीन से जुड़े है इसलिए उन्हें स्थितियों की जानकारी है उसी दिशा में काम हो रहा है। तीन वर्षो में देश की अर्थव्यस्था दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ी है जिसे वह पचा नहीं पा रहे है। चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री लगातार नोटबंदी को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे है। नोटबंदी के फैसले को एक वर्ष पूरा हो जाने के अवसर पर भी सिंह ने इसे सरकार की सबसे बड़ी भूल करार दिया है। जिसका जवाब मुख्यमंत्री ने अपने गृहनगर नागपुर में आयोजित पत्रकार परिषद में जवाब दिया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहाँ की वह निराशा में ऐसी बात कह रहे है। नोटबंदी के फैसले को देश के साथ उनके इलाके की जनता ने भी बीजेपी को चुनावो में जीत दिलाकर समर्थन दिया है।

नोटबंदी के फैसले को एक वर्ष पूरा होने पर कांग्रेस ने बुधवार को काला दिन मनाया वही दूसरी तरफ सत्ताधारी बीजेपी ने इस दिन को कालाधन विरोधी दिवस के रूप में मनाया। इसी के तहत देश में बीजेपी के प्रमुख नेताओं ने देश भर में मीडिया के सामने नोटबंदी से हुए फायदों को गिनाया। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने नागपुर में पत्रकारों से बातचीत की। इस बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने नोटबंदी की वजह से हुए फायदों को भी गिनाया। मुख्यमंत्री ने कहाँ की यह दौर अर्थव्यवस्था के फॉर्मलाइजेशन का है एक ओर जहाँ नोटबंदी के बाद कालाधन पर अंकुश लगा है वही दूसरी तरफ अप्रत्यक्ष कर को फॉर्मल इकोनॉमी में लाने के लिए जीएसटी को लाया गया। यह दोनों की फैसले अर्थव्यवस्था सुधार की कड़ी के हिस्से है। एक वर्ष के भीतर ही देश के लेस कैश इकोनॉमी की तरफ बढ़ने का अनुभव सामने आया है। 2.69 लाख करोड़ का ट्रांजेक्शन संदेहास्पद पाया गया है। यह पैसा जो बैंको में वापस आया है इसके कालाधन होने का शक है जिसकी जाँच जारी है। अकेले इस फैसले की वजह से व्यक्तिगत टैक्स भरने वाले लोगो की संख्या में भारी ईजाफा हुआ है। नोटबंदी से पहले देश में 2 करोड़ 97 लाख शेल कंपनिया थी जिसमे से 2,24 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है बांकी की जाँच शुरू है। अब तक जो पैसा लोगो के पास जमा था वह सेविंग में आ चुका है यह पैसा अब अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन गया। कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा खोले जाने वाले इम्प्लॉयमेंट प्रोविडेंट फंड और इम्प्लॉयमेंट स्टेट इन्शुरेंस कॉर्पोरेशन में एक करोड़ से ज्यादा खाते खुले है। नोटबंदी से हुए फ़ायदे को गिनाते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य की स्थानीय स्वराज्य संस्थाओ को करीब 1500 करोड़ का फायदा होने की जानकारी दी।

नोटबंदी के बाद अलगावावाद और नक्सलवाद पर लगी लगाम
मुख्यमंत्री के अनुसार अकेले नोटबंदी की वजह से देश की कई समस्याओं पर अंकुश लगा है। इस फैसले के बाद कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में 75 फ़ीसदी की कमी आयी है जबकि नक्सलवाद पर 20 प्रतिशत की कमी आयी है।

पैराडाईज पेपर सामने आने के बाद सरकार तुरंत कार्रवाई की
अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के समूह द्वारा कालेधन को लेकर किये गए ख़ुलासे में देश के लगभग 750 लोगो के नाम सामने आये है। पैराडाईज पेपर नाम से सार्वजनिक हुए दस्तावेज़ में कुछ ऐसे लोगो का नाम सामने आया है जिन पर पहले भी कालेधन को गैरकानूनी रूप से विदेश भेजने का आरोप लग चुका है। एक सवाल में मुख्यमंत्री से पूछा गया की ऐसे लोगो पर अब तक किसी तरह की कार्रवाई क्यूँ नहीं हुई तो इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहाँ की मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए एसआयटी का गठन किया है। केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट को जो सूची सौंपी गयी है उसमे कई अन्य नाम शामिल है इस मामले की जाँच जारी है।

जितनी बार आवश्यक हो नियम में बदलाव हो
जीएसटी को लेकर सरकार द्वारा आयेदिन किये जाने वाले नियमों के बदलाव को लेकर भी सरकार की तैयारियों पर अब भी सवाल उठाये जा रहे है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहाँ जनता को राहत देने के लिए जितने बार बदलाव की आवश्यकता हो किया जाना चाहिए।

पेट्रोलियम पदार्थो पर जीएसटी लगाने का फैसला कांउसिल के हाँथ
राज्य में पेट्रोलियम पदार्थो में भी जीएसटी लगाए जाने की उठ रही माँग के बीच मुख्यमंत्री ने साफ़ किया की ऐसा होना चाहिए। लेकिन इस पर सभी राज्य एकमत नहीं है,पेट्रोलियम पदार्थ और शराब से राज्यों को आमदनी का बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। इसलिए कई राज्य इस पर अपना नियंत्रण छोड़ना नहीं चाहते। इस पर अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल को लेना होगा जिसमे सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल है।