Published On : Fri, Mar 15th, 2019

हाथी से हाथ और घड़ी को है खतरा

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गोंदिया-भंडारा लोकसभा क्षेत्र में बीएसपी छुपा रूस्तम

गोंदिया: गोंदिया-भंडारा संसदीय क्षेत्र के लिए 11 अप्रैल को मतदान होगा। कुल 17 लाख 91 हजार 692 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने पंसद के उम्मीदवार का चयन करेंगे। कोई भी राजनीतिक दल जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर ही अपना उम्मीदवार तय करता है।

गोंदिया-भंडारा क्षेत्र में कुनबी वोटरों की संख्या सबसे अधिक 4 लाख 17 हजार 106 (23.85%) है। वहीं बौद्ध- 2,95,860 (16.91%), तेली- 2,76,061 (15.78%), पोवार- 2,05,014 (11.71%), गोंड- 1,10,650 (6.32%) उसी प्रकार आदिवासी गोवारी, माना, धनगर समाज की वोट ताकत 50 हजार से अधिक है।

बहुजन समाज पार्टी की पेठ बौद्ध और आदिवासी समाज के बीच बहुत गहरी है लिहाजा बीएसपी से उम्मीदवारी किसे मिलेगी? इस पर हमेशा पार्टी नेताओं की ऩजरें बनी रहती है। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा सुश्री मायावती बहन के निर्देशानुसार लखनऊ से संदेश लेकर बसपा के महाराष्ट्र प्रभारी प्रमोद रैना 12 मार्च से गोंदिया दौरे पर है।

जिले के 4 विधानसभा क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक पश्‍चात उन्होंने लोकसभा के इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया और बसपा के चुनाव तैयारी विषय पर पत्रकारों से चर्चा की। इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष सुरेश साखरे, प्रदेश प्रभारी- एड. संदीप ताजने, कृष्णा बेले, प्रदेश उपाध्यक्ष- चेतन पवार, प्रदेश महासचिव- जितेंद्र महेस्कर, पूर्व विदर्भ प्रभारी- उषाताई बौद्ध, प्रदेश सचिव- पंकज वासनिक, दिनेश गेडाम, जिला प्रभारी- पंकज यादव व बसपा जिलाध्यक्ष- धुर्वास भोयर उपस्थित थे।

बसपा की टिकट पर 5 ने दावा ठोंका
महाराष्ट्र में एकला चलो.. की नीति अपनाते हुए बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार का चयन शुरू कर दिया है। 12 मार्च को पदाधिकारियों के समक्ष पार्षद का चुनाव हार चुके अरूण गजभिये तथा लोधी समाज के नेता रामविलास मस्करे ने ना सिर्फ पार्टी प्रवेश किया बल्कि उम्मीदवारी के लिए अपना दावा भी ठोंका। उसी प्रकार भंडारा (पवनी) निवासी डॉ. विजया ठाकरे नांदूरकर ने भी आवेदन प्रस्तुत किया। सुभाष फुंडे ने भी अपना आवेदन पेश किया और सबसे मजबूत दावेदारों के रूप में पूर्व न.प. उपाध्यक्ष तथा लगातार तीसरी बार पार्षद चुने गए लोकेश (कल्लू) यादव ने भी लोकसभा उम्मीदवारी हेतु ना सिर्फ लिखित आवेदन दिया अपितू आवेदन फार्म की निर्धारित इंट्री फीस भी भर दी।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार गोंदिया-भंडारा की सीट क्योंकि जनरल हेतु आरक्षित है लिहाजा इस मर्तबा किसी ओबीसी या जनरल व्यक्ति को ही पार्टी मैदान में उतार सकती है? इसकी संभावनाएं अधिक है।

प्राप्त आवेदनों की सूची नागपुर के झोनल कमेटी को भेजी गई है तथा वहां से डाटा लखनऊ जायेगा और गोंदिया-भंडारा सीट पर फाइनल मुहर सुश्री मायावती बहन ही लगायेगी। 18 मार्च तक बसपा के उम्मीदवार का फैसला हो जाएगा एैसी छन-छन कर खबरें आ रही है।

2004 में बसपा के दिए हार के जख्म, नहीं भूले है.. प्रफुल
2004 के चुनाव कौन भूल सकता है, प्रफुल पटेल तो कदाचित नहीं ?

राष्ट्रवादी के चुनाव चिन्ह घड़ी तथा कांग्रेस के समर्थन से चुनाव मैदान में उतरे प्रफुल पटेल की जीत बेहद आसान मानी जा रही थी क्योंकि उनके सामने भाजपा ने तुमसर एपीएमसी में साधारण से पदाधिकारी रहे शिशुपाल पटले को टिकट देकर बतौर उम्मीदवार मैदान में उतारा था लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने बौद्ध और आदिवासी समाज के मतदाताओं के दम पर सारे चुनावी समीकरण ही बदल दिए। बसपा के उम्मीदवार अजाबलाल शास्त्री ने अपने आक्रमक भाषण शैली से चुनाव का रूख ही बदल दिया।

बसपा उम्मीदवार ने 90,672 वोट लेकर प्रफुल पटेल जैसे कदावर नेता को हाशिए पर ढकेल दिया। भाजपा के शिशुपाल नत्थु पटले इन्हें 2 लाख 77 हजार 388 वोट मिले। वहीं प्रफुल पटेल को 2 लाख 74 हजार 379 मत प्राप्त हुए और प्रफुल पटेल महज 3009 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। इस हार का मलाल आज भी वे अपने दिल में संजोए हुए है तथा कई जनसभाओं में वे गाहे-बगाहे यह दर्द बयां हो जाता है। अब 2019 में क्योंकि हाथी.. हाथ का साथी नहीं है एैसे में घड़ी की टिक-टिक पर खतरा मंडरा रहा है कि, आखिर बीएसपी चुनावी उम्मीदवारी किसे सौंपती है ? क्योंकि गोंदिया-भंडारा लोकसभा चुनाव में बीएसपी को हमेशा एक छुपा रूस्तम माना जाता है लिहाजा नजरें टिकी हुई है।


रवि आर्य