नागपुर: शहर की सड़कों पर फैले अतिक्रमण और फुटपाथों की घटती उपलब्धता को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नागपुर महानगर पालिका (मनपा) ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि फुटपाथों पर होर्डिंग्स लगाने के लिए जारी किया गया ई-टेंडर रद्द कर दिया गया है। साथ ही, मनपा ने एक सप्ताह के भीतर इस संबंध में शपथ-पत्र (हलफनामा) दाखिल करने की बात भी कही है। इसके बाद हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
यह जनहित याचिका सिटीजन फोरम फॉर इक्वेलिटी के अध्यक्ष मधुकर कुकड़े द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि फुटपाथों पर हो रहे अतिक्रमण से पैदल चलने वालों की सुरक्षा को खतरा हो गया है और शहर में दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तुषार मंडलेकर ने पैरवी की।
नीति बनाम कानून का सवाल
मनपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.के. मिश्रा ने कोर्ट में दलील दी कि वर्ष 2001 में बनी विज्ञापन नीति के तहत फुटपाथों पर होर्डिंग्स लगाने की अनुमति थी और कोर्ट ने उस नीति को स्वीकार भी किया था। हालांकि, अब राज्य सरकार ने 2022 में एक नई विज्ञापन नीति लागू की है। मिश्रा का तर्क था कि जब पुरानी नीति को कोर्ट की मंजूरी प्राप्त है, तो मनपा को फुटपाथों पर होर्डिंग्स लगाने का अधिकार है।
इसके विपरीत याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मंडलेकर ने कहा कि फुटपाथ पैदल चलने वालों के लिए बनाए गए हैं, न कि विज्ञापन के लिए। उन्होंने हाल ही में मनपा द्वारा जारी किए गए टेंडर को अवैध और जनहित के खिलाफ बताया।
मनपा का हलफनामा और टेंडर प्रक्रिया की जानकारी
मनपा द्वारा कोर्ट में पेश हलफनामे में कहा गया है कि 4 दिसंबर 2024 को एक टेंडर जारी किया गया था, जिसमें 78 स्थानों पर फुटपाथ के एक किनारे, जमीन से 15 फीट ऊंचाई पर होर्डिंग्स लगाने की अनुमति दी जानी थी। मनपा का दावा है कि इससे पैदल चलने वालों को कोई बाधा नहीं पहुंचेगी।
इससे पहले, 4 मार्च 2024 को एक समिति का गठन किया गया था, जिसे यह जांचने का निर्देश दिया गया था कि प्रस्तावित होर्डिंग्स से पैदल यात्री प्रभावित होंगे या नहीं। रिपोर्ट मिलने के बाद 15 मार्च 2024 को प्रशासक द्वारा टेंडर को हरी झंडी दी गई थी।
हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून में इस प्रकार के प्रावधान का अभाव है, इसलिए 4 दिसंबर 2024 को निकाला गया यह टेंडर अवैध माना जाएगा।