Published On : Fri, Jul 10th, 2020

स्वयंघोषित CEO की जगह Dy. CEO को स्मार्ट सिटी का प्रभार

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बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय

नागपुर: पूर्व CEO रामनाथ सोनवणे के इस्तीफा देने के बाद स्मार्ट सिटी नागपुर के chairman प्रवीण परदेशी के आड़ लेकर मनापायुक्त तुकाराम मुंढे ने खुद को स्मार्ट सिटी का CEO दर्शाने वाले को आज स्मार्ट सिटी की बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से निदेशकों ने उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश मोरोणे को स्मार्ट सिटी का प्रभारी CEO नियुक्त किया गया।

बैठक बाद स्मार्ट सिटी बोर्ड के निदेशक व महापौर संदीप जोशी ने जानकारी दी कि मुंढे के झूठी दावे को स्मार्ट सिटी के चेयरमैन प्रवीण परदेशी ने साफ करते हुए कहा कि उन्होंने कभी मुंढे को न लिखित और न ही मौखिक स्मार्ट सिटी की जिम्मेदारी संभालने का आदेश या निर्देश दिया,यह जरूर कहा कि स्मार्ट सिटी प्रकल्प मनपा के अंतर्गत आता हैं इसलिए सिर्फ देखरेख करें।

इसकी जगह प्रभारी CEO के लिए बोर्ड के निदेशकों से व्यक्तिगत राय परदेशी ने लिया।मुंढे ने एनएमसी आयुक्त को स्मार्ट सिटी का CEO बनाये जाने की सिफारिश की तो महापौर व स्मार्ट सिटी के निदेशक संदीप जोशी ने आक्षेप लिया और कहा कि कोई खुद के लिए सिफारिश कैसे कर सकता हैं, जबकि जो आज ही स्मार्ट सिटी का निदेशक नियुक्त हुआ हो। जोशी का समर्थन संदीप जाधव,तानाजी वनवे,वैशाली नारनवरे ने किया। तो बोर्ड के अन्य निदेशक,जिलाधिकारी रविन्द्र ठाकरे, पुलिस आयुक्त भूषण कुमार उपाध्याय,नासूप्र सभापति शीतल उगले सह 2 अन्य निदेशकों ने स्मार्ट सिटी का स्वतंत्र व पुर्णकालिन CEO नियुक्त करने की मांग की,जिसके तहत उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश मोरोणे को सर्वसम्मति से प्रभारी CEO नियुक्त किया गया। इसके साथ ही जल्द से जल्द नए CEO की विधिवत नियुक्ति करने हेतु प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया गया।

जोशी सह अन्य निदेशक वनवे,जाधव,नारनवरे ने स्वयंघोषित CEO द्वारा लिए गए निर्णयों की केंद्रीय अधिकारियों से जांच व एडवोकेट जनरल से सलाह लेकर अगली बोर्ड मीटिंग में रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग को सहमति दी गई।

जोशी ने जानकारी दी कि मनपा के इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट में भी आयुक्त के कामकाजों पर आक्षेप लिया गया। इसके साथ ही स्मार्ट सिटी में पुर्णकालीन CAFO नियुक्ति के प्रस्ताव को पुनः मंजूरी दी गई। स्वयंघोषित CEO मुंढे द्वारा किये गए 18 करोड़ के भुगतान को मंजूरी दी गई लेकिन देने के पीछे के उद्देश्य पर आक्षेप दर्ज की गई,जिसका भी अगले बोर्ड की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

बैठक में उपस्थितों को जोशी ने जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी के बर्खास्त कर्मियों द्वारा न्यायालय के शरण मे जाने से सभी निदेशकों को नोटिस मिली हैं।जिन्हें स्वयंघोषित CEO ने बर्खास्त किया था। जिसकी सुनवाई 23 जुलाई को होने वाली हैं, इसलिए इस विषय को न्यायालय के निर्णय के बाद चर्चा करने की मांग की,जिसे स्वीकृति मिली।

उल्लेखनीय यह रही कि लगभग 6 माह बाद स्मार्ट सिटी बोर्ड की पहली बैठक हुई,जिसमें उपस्थित निदेशकों ने मुंढे से दुआ-सलाम नहीं की।स्मार्ट सिटी की बैठक के दौरान स्मार्ट सिटी सभागृह के बाजू के शौचालय में पानी नहीं होने से उपयोगकर्ता निदेशकों को बिसलेरी से काम चलाना पड़ा।