नागपुर: धनगर आरक्षण का मुद्दा गुरुवार को राज्यसभा में सांसद डॉ. विकास महात्मे ने शून्यकाल के दौरान उठाया । डॉ. महात्मे ने इस दौरान कहा कि महाराष्ट्र में धनगर आरक्षण का प्रश्न 70 सालों से प्रलंबित है. भारत के संविधान में अनुसूचित जमाती के लिस्ट में 36 नंबर पर धनगर जाति मौजूद है.
लेकिन महाराष्ट्र में धनगर की जगह धनगड़ लिखे जाने कि वजह से धनगर जमाती के लोग अनुसूचित जमाती के आरक्षण से वंचित रहे है.
हालांकि ‘धनगड़ ‘ जाति का एक भी व्यक्ति महाराष्ट्र में मौजूद नहीं है. कांग्रेस राष्ट्रवादी की सरकार जब तक महाराष्ट्र में थी तब तक जान बुझकर धनगरोंको आरक्षण से दूर रखा गया.
2014 के चुनाव में बीजेपी – शिवसेना महायुती ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में महाराष्ट्र में धनगरों को अनुसूचित जमातिका आरक्षण लागू करनेका वचन दिया था. इसी कारण धनगर समाज ने महायुती को और बाद में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट देकर तख्ता पलट दिया. उसके बाद विद्यमान महाराष्ट्र सरकारने धनगर आरक्षण के लिए संजीदगी से कुछ कदम उठाये भी है.
लेकिन 4 वर्ष होनेके बाद भी इस विषय पर निर्णय होने में जो देर हो रही है उससे धनगर समाज में रोष उत्पन्न हो रहा है. इसपर तुरंत कार्यवाही न हुई तो धनगर समाज का आन्दोलन तीव्र होने की सम्भावना है और मराठा आरक्षण जैसा हिंसक भी बन सकता है. डॉ. महात्मे ने सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस सबंध में प्रस्ताव भेजने का आदेश दे और दिए हुए आश्वासन की पूर्ती करे.
गौरतलब है कि वर्ष 2013 से धनगर समाज संघर्ष समिति (महाराष्ट्र राज्य) के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में राज्यसभा सांसद डॉ. विकास महात्मे धनगर आरक्षण के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। उनके अथक प्रयासों से निकट भविष्य में धनगर आरक्षण जरूर मिलेगा ऐसी आशा है।