Published On : Thu, Nov 16th, 2017

उद्देश्यपूर्ति पूर्व एसआईटी की बर्खास्तगी पर संदेह

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नागपुर: भूमाफिया के चुंगल से गोर-गरीब, असहाय, सेवनिवृतों ने गाढ़ी कमाई से जमीन खरीदी की थी। इनके जमीनों को शहर-ग्रामीण के सफेदपोश और सफ़ेदपोशों के शह पर भूमाफियाओं ने अनगिनत प्लॉट और एकड़ का एकड़ जमीन हथिया लिया था। इनके चुंगल से जमीनें छुड़ाकर हक़दारों को जमीन वापिस करने के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया था कि चंद माह में अचानक बर्खास्त कर दिया जाना,कई सवाल खड़े करने के साथ साथ अन्यायग्रस्तों की आस टूट गई।

सरकार में सत्ताधारियों के आपसी रंजिश के मद्देनजर पक्षान्तर्गत विरोधी गुट के समर्थक एक भूमाफिया को तय रणनीति के तहत कानून की आड़ लेकर गिरफ्तार किया गया। फिर इसके कच्चे-चिट्ठे सामने लाने के लिए एसआईटी का गठन किया। इस जांच समिति के पास उक्त भूमाफिया के अलावा अनेकों भूमाफिया के मामले दर्ज होने लगे। वहीं इस समिति के माध्यम से सैकडों त्रस्त नागरिकों को न्याय मिलने का क्रम जारी था कि अचानक सरकार ने एसआईटी को बर्खास्त कर दिया। अबतक 1600 से अधिक लोगों ने न्याय हेतु दस्तक दी थी,जिसमें से 600 से ज्यादा शिकायतकर्ताओं को न्याय के साथ उनकी हड़पी जमीनें मिल गई। इससे सरकार व पुलिस महकमों पर पुनः आम नागरिकों का विश्वास जमने लगा था। उक्त एसआईटी की बर्खास्तगी से शेष अन्यायग्रस्तों का मामला पुनः लटक गया। सरकार ने एसआईटी शुरू रखी होती तो शेष शिकायतग्रस्तो उनकी जायज मांग पूरी होती रहती,साथ में अन्य भूमाफियाओं के मामले भी प्रकाश में आये होते।

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किसी खास के लिए गठित हुई थी क्या
जिस भूमाफिया के गिरफ्तारी के बाद एसआईटी का गठन किया गया। वह और उसका कुनबे को हर तरह से सड़क पर ला दिया गया। अब इसी कुनबे के लोग चाहते थे कि इस एसआईटी के माध्यम से सम्पूर्ण शहर के त्रस्त हज़ारों नागरिकों को भूमाफियाओं के चुंगल से छुटकारा दिलवाकर ही एसआईटी को बर्खास्त करना चाहिए था। लेकिन 2-3 माह में सरकार के यू टर्न लेने से भूमाफियाओं को राहत मिल गई। अब शायद की शेष शिकायतकर्ताओं को उनकी मेहनत की कमाई से खरीदी गई जमीनें मिल पाएगी।

अपनों को संरक्षण देने के लिए हज़ारों की ली कुर्बानी
उक्त भूमाफिया से जुड़े सरकार के करीबी भूमाफिया जिन्हें प्यार से उनके चाहते ‘एडी’ कहते हैं। इसे शहर के दिग्गज सफेदपोश के दबाव में बचाने और उनके द्वारा जमा की संपत्तियां का बंटाढार रोकने के लिए एसआईटी की बर्खास्तगी का आरोप सत्ताधारी पक्ष के लोग लगा रहे हैं। जब उक्त भूमाफिया की गिरफ्तारी हुई थी तब इनके कार्यालय में छापा मारकर कई जमीनों के दस्तावेज जप्त किये गए थे। जिन्होंने अपने बचाव के लिए ’70’ दिए,तब सरकार ने अचानक एसआईटी को बर्खास्त करने के लिए शहर पुलिस को निर्देश दिए, जो निंदनीय हैं। विशेष यह हैं कि आज भी हज़ारों नागरिक जो भूमाफिया के चक्कर में पिस रहे हैं,वे एसआईटी के समक्ष इसलिए नहीं गए उन्हें डर था कि कहीं भूमाफिया उन्हें तबाह न कर दे। इस डर को सरकार ने और मजबूती प्रदान करते हुए एसआईटी भंग की सर्वत्र भर्त्सना की जा रही हैं। त्रस्त नागरिकों की पुनः सरकार से गुहार हैं कि बर्खास्त एसआईटी को बहाल कर पारदर्शी सरकार की छबि को दागदार होने से बचाये।

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