नागपुर: मनपा में महापौर, उपमहापौर, स्थाई समिति सभापति के बाद अगर कोई महत्वपूर्ण पद है तो वह है परिवहन समिति सभापति का पद. मनपा नियमानुसार यह पद स्थाई समिति सभापति के समकक्ष पद बतलाया जाता है. लेकिन जब कभी प्रशासन परिवहन विभाग सम्बन्धी बैठकें लेता है तो परिवहन समिति सभापति को नज़रअंदाज करता आ रहा है. इस बार भी ऐसी घटना को दोहराए जाने पर से परिवहन सभापति नाराज बताए जा रहे हैं.
परिवहन विभाग के सूत्रों की माने तो परिवहन सभापति ने एक लिखित पत्र लिख मुख्यमंत्री, महापौर, सत्तापक्ष नेता से निवेदन करने वाले हैं कि अगर ऐसा ही व्यवहार करना है तो इस पत्र को ही इस्तीफा समझा जाए.
सूत्रों का कहना है कि वे परिवहन विभाग से सम्बंधित मामलों पर सलाह-मशवरा-निराकरण के लिए कई बार मनपायुक्त से वक़्त की लिखित मांग कर चुके हैं, लेकिन इन पत्रों को तरजीह नहीं दिया जाता. उलट प्रशासन ने सभापति को छोड़ परिवहन विभाग के अधिकारी के साथ सभी ७ ठेकेदारों को बैठक में आमंत्रित किया था. इस बैठक से मनपायुक्त को कई ज्वलंत मुद्दों से महरूम रखा गया.
जैसे डिम्ट्स के साथ मनपा परिवहन विभाग का हुए करार के अनुसार अधिकांश बिन्दुओं को पूरा न किया जाना. जिसमें सिर्फ लाल बस ऑपरेटरों के मासिक भुगतान में कैंची चलाने की जिम्मेदारी निभाना शामिल है. जितने भी दफे हड़ताल हुए किसी भी दफे इनसे परिवहन विभाग ने जवाब-तलब नहीं किया, न ही जुर्माना ठोंका.
डिम्ट्स के अधीन कर्मियों द्वारा लाखों के घोटाले पर प्रशासन ने लीपापोती कर बचाया. डिम्ट्स का प्रकल्प निदेशक करार के अनुसार रोजाना आधा दिन नागपुर में सेवारत रहना चाहिए, जो सिर्फ माह-डेढ़ माह में १-२ दिन के लिए दिल्ली से नागपुर सहल करने के लिए आते हैं. जिस करार के अनुसार २ लाख रुपए मासिक वेतन दे रही है, वह भी मुफ्त में.
उल्लेखनीय यह है कि महिला स्पेशल बस के लिए राज्य सरकार ने तेजश्विनी योजना के तहत साढ़े ९ करोड़ रुपए का अनुदान लगभग ६ माह पूर्व दिया. लेकिन मनपा प्रशासन की बस खरीदी (इलेक्ट्रिक न सही डीजल बस ही सही या फिर मिनी बस) से मनाही होने पर परिवहन सभापति चिढ़ से गए हैं. यह निधि उपयोग न करने पर वापस जाने के डर से वे जल्द ही इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री से चर्चा कर मार्ग निकालने वाले हैं.










