Published On : Tue, Jul 19th, 2016

आमसभा कल, गुंजेगा जर्जर सड़कों का मामला

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लेकिन इस मुद्दे को नरम करने हेतु सर्वदलीय समझौता होने के आसार
अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के दोषी हमखास ठेकेदारों को मिलेगी मोहलत

NMC Generalbody meeting
नागपुर:
कल बुधवार को होने वाली मनपा की आमसभा में शहर के जर्जर हाल सड़कों को विपक्षी हंगामे के आसार है। इस मुद्दे को लेकर सत्तापक्ष चिंतित है और तरह-तरह के बहाने तैयार करने में जुटे है। वही सत्तापक्ष का मानना है कि आमसभा में विपक्ष उतनी जोश-खरोस से बेहाल सड़कों का मुद्दा नहीं उछालेंगे। क्यों कि सड़क निर्माता ठेकेदारों से विपक्ष के मधुर सम्बन्ध है। अगर समय की मांग को देखकर विपक्ष ने मुद्दा गर्माया भी तो आमसभा शुरू होने के पूर्व महापौर की प्रमुख उपस्थिति में होने वाली सर्वपक्षीय बैठक में विषय को निपटाने के लिए सुनहरा मोड़ तय कर लिया जायेगा। इस आभास से मनपा प्रशासन भी हुई और हो रही लापरवाही, अनियमितता, धांधली सह घोटाले को लेकर कोई खास चिंतित नहीं है। मनपा प्रशासन में बैठे बाहरी अधिकारी सिर्फ और सिर्फ अपना टाइम पास कर मासिक वेतन सह समय-समय पर कमीशन उठाकर मदमस्त है। जनप्रतिनिधि और बाहरी दिग्गज अधिकारियों के उक्त रवैये से सबसे मजे में स्थानीय अधिकारी व कर्मी है जो जी में आ रहा कर अपना उल्लू सीधा कर रहे है।

वैसे अभी सड़कों की जर्जर अवस्था पर महापौर प्रवीण दटके ने सडकों की दुर्दशा के लिए सीधे तौर पर अधिकारियों को दोषी माना है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है। वहीं ठेकेदारों पर पेनाल्टी के साथ ही दोबारा सडक बनाने का निर्णय तय माना जा रहा है।

स्थायी समिति अध्यक्ष बंडू राऊत के निर्देशानुसार प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर खुद मुख्य अभियंता उल्हास देबडवार ने अधिकारियों के साथ खराब हुई सडकों का मुआयना किया। जल्द ही देबडवार फाइनल रिपोर्ट तैयार कर समिति के समक्ष पेश करेंगे।

पहली बारिश से सडकों की दुर्दशा में चोक व बंद ड्रेनेज लाइन कुछ हद तक जिम्मेदार है। निकासी नहीं होने से सडकों पर घंटों तो कहीं दो-दो दिन पानी जमा रहता है। डामर और पानी कस कभी मिलाप नहीं हो सकता है, इसलिए वे उखडने लगी है। किसी भी सडक के निर्माण के दौरान वहां से गुजरने वाली ट्रॉफिक का घनत्व देखकर ही प्राकलन तैयार किया जाता है। इसकी जिम्मेदारी मनपा के अधिकारियों की हैं। लेकिन उसका ध्यान नहीं रखा जा रहा। जानकारों की माने तो अगर सडक की निचली परत में 50 मिमी से कम मोटाई की गिट्टी डाली गई तो भी उसका असर डामरीकरण पर पडता है। सडकों पर भारी परिवहनों की आवाजाही बढ़ी है। ट्रॉफिक के आधार पर भी सडकों का निर्माण होना चाहिए।

उल्लेखनीय यह है कि इस मामले में दोषी अधिकारी व ठेकेदार लीपापोती में जुटे हुए हैं। सडक की बदहाली पर आम नागरिकों की प्रतिक्रिया आने लगी है। लेकिन मनपा में विपक्षी दल कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना, बसपा शांत बैठी है। जबकि छोटे दल व सामाजिक संगठन खुलकर इसके विरोध में सामने आ रहे हैं। सिर्फ आम आदमी पार्टी ने मनपा मुख्यालय के समक्ष जमकर इस मामले में हंगामा किया और दोषी पर कार्रवाई की मांग की।

– राजीव रंजन कुशवाहा