
गोंदिया। बुधवार की सुबह इसरका मार्केट के पास एक दिल दहला देने वाला मंजर सामने आया ‘ सवेरा गेस्ट हाउस ‘ नामक दो मंजिला पुरानी इमारत अचानक भरभरा कर जमींदोज हो गई। गनीमत ये रही कि दीपावली के चलते मजदूर उस दिन छुट्टी पर थे, वरना मलबे के नीचे कई जानें समा जातीं , हादसे के वक्त सुबह में बाजार क्षेत्र में आवाजाही कम थी इस वजह से किसी के घायल होने की खबर नहीं मिली। हालांकि मलबा गिरने से पास खड़ी एक कार और दो दोपहिया वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
पुरानी इमारत को तोड़ नए प्लॉट बनाने की तैयारी चल रही थी
जानकारी के अनुसार करीब 7,500 वर्गफीट में फैली यह इमारत महेशभाई पटेल की थी। इसके एक हिस्से में बीड़ी कारखाना, और दूसरे में सवेरा गेस्ट हाउस संचालित था। हाल ही में यह संपत्ति पटाखा कारोबारी बाबूलाल अग्रवाल ने खरीदी थी।
पुराने ढांचे को तोड़कर सात नए प्लॉट बनाकर देने का ठेका ठेकेदार को दिया गया था।
पिछले दो हफ्तों से मजदूर इस जर्जर इमारत को तोड़ने का काम अंदर ही अंदर कर रहे थे लेकिन दीपावली की छुट्टियों के चलते दो दिन से काम बंद था।
इसी बीच 22 अक्टूबर बुधवार सुबह अचानक एक बड़ी दीवार और छत का हिस्सा जोरदार धमाके के साथ धराशायी हो गया।
राहत कार्य में जुटा प्रशासन , भीड़ उमड़ी, हड़कंप मचा
धमाके जैसी आवाज सुनते ही आसपास के लोग घटनास्थल पर दौड़ पड़े। दमकल विभाग, नगर परिषद और पुलिस की टीमें सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचीं और राहत व मलबा हटाने का कार्य तुरंत शुरू कर दिया।
गनीमत रही कि अंदर कोई मजदूर मौजूद नहीं था, अन्यथा दीपावली की सुबह मातम में बदल जाती।
ठेकेदार की लापरवाही पर उठे सवाल
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि इमारत को तोड़ने का काम बेहद लापरवाही से किया जा रहा था।
नींव कमजोर करने के बाद भी ऊपरी हिस्से को बिना सहारा छोड़ा गया था, जिसके कारण अचानक पूरी संरचना धराशायी हो गई।
अब सवाल उठ रहे हैं कि-
क्या ठेकेदार ने बिल्डिंग डिस्मेंटल के सुरक्षा नियमों की अनदेखी की ?
क्या प्रशासनिक अनुमति और इंजीनियरिंग सुपरविजन के बिना काम शुरू किया गया था ?
हालांकि इसमें कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन हादसों को दावत देती मौत की ऐसी जर्जर इमारतों के मालिकों और ठेकेदार के खिलाफ प्रशासन ने सख्ती अपनानी चाहिए ।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बाजार क्षेत्र में कई पुरानी जर्जर इमारतें हैं जो कभी भी मौत का मलबा बन सकती हैं।
लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे ढांचों की तत्काल जांच कर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी बड़े हादसे को रोका जा सके।
रवि आर्य









