नागपुर : अलग विदर्भ राज्य को लेकर शुरू आंदोलन में विदर्भ जन आंदोलन समिति और राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे के बीच वैचारिक मतभेद उभर आया है। सोमवार को प्रतीकात्मक विधानसभा की शुरुवात से पहले पत्रकारों ने बात करते हुए समिति के वामनराव चटप ने अणे के स्थानीय निकाय चुनाव में उतरने के फैसले पर कटाक्ष किया। चटप के मुताबिक अलग राज्य का अधिकार केंद्र और राज्य के पास है। स्थानीय निकायों, ग्रामपंचायत, पंचायत समिति के सभागृह में पारित प्रस्ताव का कोई असर इस फैसले पर नहीं पड़ता इसलिए आगामी स्थानीय निकाय चुनावो में समिति की चुनावी राजनीति में न उतरने की भूमिका साफ़ है।
श्रीहरी अणे ने राजीनितिक दल बनाया यह उनका अधिकार है पर उनके पास भी लोकतांत्रिक तरीका है जिस का इस्तेमाल करते हुए विदर्भ राज्य आंदोलन समिति प्रतीकात्मक विधानसभा का आयोजन कर रही है। इस आंदोलन में अणे की अनुपस्थिति को लेकर पूछे गए सवाल पर चटप ने कहाँ कि समिति की तरफ से सभी विदर्भवादी संगठनो को निमंत्रण दिया गया था।
चर्चा है कि अणे और समिति के बीच आंदोलन के इस तरीके को लेकर मतभेद है जिस पर चटप ने कहाँ कि उनकी भूमिका स्पस्ट है फिर भी किसी के मन में पशोपेश की स्थिति है तो वह आकर चर्चा कर सकता है। गौरतलब हो कि श्रीहरी अणे ने हालही में नागपुर में विदर्भ राज्य अघाड़ी नाम से नई पार्टी का ऐलान किया था। पार्टी के ऐलान के वक्त उन्होंने अपनी भूमिका रखते हुए साफ कहाँ था कि आंदोलन से राज्य नहीं मिलता राज्य लेने का एकमात्र हथियार चुनावी राजनीति है। आंदोलन को लेकर विपरीत तर्क मनमुटाव की असली वजह है।