Published On : Wed, Nov 27th, 2019

२ से ४ दिन में डीजल बस सीएनजी में किया जा रहा तब्दील

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– जून २०२० तक सभी स्टैंडर्ड बस सीएनजी में तब्दील होने की संभावना

नागपुर : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का ‘स्वप्न प्रकल्प’ व ईंधन खर्च में बचत हेतु मनपा के परिवहन बेड़े में शामिल सभी स्टैंडर्ड बसों को सीएनजी में तब्दील करने का करार किया गया.लेकिन इस मसले पर प्रशासन गंभीर नहीं वर्ना स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत कचरा संकलन करने हेतु उपयोग किये जा रहे वाहन भी सीएनजी युक्त हुए होते।

मनपा प्रशासन को प्रदुषण सह संचलन में लग रहे खर्च की बचत पर चिंता नहीं क्यूंकि उन्हें सातवां वेतन आयोग के सिफारिश अनुसार वेतन जो मिल रहा हैं.

प्राप्त जानकारी अनुसार सीएनजी में तब्दील करने वाली कंपनी ‘रॉमैट’ को एक स्टैंडर्ड बस की इंजन सह टैंक सफाई करने में वक़्त लगता हैं,क्यूंकि इन टैंकों में कार्बन के कई परत जमे होते हैं.इन्हें विशिष्ट तेल से साफ़ किया जाता हैं.सिर्फ इतना ही करना पड़ा तो २-३ दिन में डीजल बस को सीएनजी में तब्दील कर दिया जाता हैं.वहीं इन बसों में कलपुर्जे सम्बन्धी और कोई कमी-खराबी रही तो मंजूरी मिलने सह सुधारने में वक़्त लगता हैं,कलपुर्जा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी मनपा की हैइस कारण सीएनजी में तब्दील करने में वक़्त लगता हैं.वैसे भी अमूमन स्टैंडर्ड बसें पुरानी और खटारी हो चुकी हैं.

पहले चरण में मनपा की खुद की 237 बसों को सीएनजी में तब्दील करने का लक्ष्य रखा गया है. जनवरी तक 100 बसों को कन्वर्ट करने की तैयारी भी हो चुकी है, लेकिन बस आपरेटर बस ही नहीं दे रहे हैं, जिसके कारण अब तक महज 30 बसों में ही सीएनजी कीट लगाया जा सका है. जानकारी के अनुसार अधिकांश बसें रूट पर चल रही हैं, इन बसों को रूट से हटाकर सीएनजी कीट लगवाना है. परंतु रूट को लेकर ही ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है और इसके चक्कर में बस को भेजा नहीं जाता है.

अबतक ३५ स्टैंडर्ड बसों को सीएनजी में तब्दील किया जा चूका हैं.अन्य ५ बसों को तब्दील करने का काम जारी हैं.एक बस में सीएनजी कीट लगाने पर लगभग 3.5 से 4.5 लाख रुपये का खर्च आता है. इससे जहां बस की उम्र सह क्षमता बढ़ जाती है, वहीं संचलन खर्च 40 फीसदी कम हो जाता है. डीजल से बस चलाने पर 3.81 रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च है, जबकि सीएनजी से 2.48 रुपये की लागत आती है. एक बस रोजाना औसतन 200 किलोमीटर चलती है. यानी एक बस से ही रोजाना हजारों रुपये की बचत होती है, बावजूद प्रशासन नकारात्मक रवैया अपनाये हुए है.

शहर को हरा भरा बनाये रखने के लिए जरूरी है कि बसों को सीएनजी में तब्दील किया जाए. इतना ही नहीं मनपा चाहे तो अन्य शहरों की भांति अपने सारे वाहनों को सीएनजी में बदलकर एक सकारात्मक संदेश भी दे सकती है. कचरा उठाने वाले सारे वाहनों को भी सीएनजी युक्त कर दिया जाए,नागपुर शहर और जल्द उत्कृष्ट शहर स्वच्छ और सुंदर रह सकता है, परंतु इसके लिए प्रशासन-पदाधिकारी-ठेकेदार कंपनियां के प्रबंधकों में दूरदृष्टि का आभाव नज़र आ रहा,फिर कैसे गडकरी का सकारात्मक स्वप्न पूर्ण होंगा।

उल्लेखनीय यह हैं कि डीजल बसों का जिस तेजी से सीएनजी में तब्दील हो रहा,डिम्ट्स भी उसी तेजी से सीएनजी बसों को मार्ग तय कर दौड़ाने में देरी कर रहे,इस मामले में भी डिम्ट्स,परिवहन समिति और मनपायुक्त गंभीरता दिखाने की जरुरत महसूस की जा रही.