धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन इनकी पूजा के साथ मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है।
इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु माना गया है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी धनतेरस के दिन नए बही-खाते खरीदते हैं जिनका पूजन दीवाली पर किया जाता है।
धनतेरस तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras Shubh Muhurat ) :
धनतेरस पूजा – शुक्रवार, अक्टूबर 25, 2019 धनतेरस पूजा मुहूर्त – 07:08 पी एम से 08:16 पी एम अवधि – 01 घण्टा 08 मिनट्स यम दीपम मुहूर्त – शनिवार, अक्टूबर 26, 2019 को प्रदोष काल – 05:43 पी एम से 08:16 पी एम वृषभ काल – 06:51 पी एम से 08:47 पी एम त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 25, 2019 को 07:08 पी एम बजे त्रयोदशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 26, 2019 को 03:46 पी एम बजे
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi) :
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में धनतेरस की पूजा की जानी चाहिए। इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा की जानी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में ही ठहर जाती हैं। साथ ही इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है। घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।
धनतेरस मंत्र (Dhanteras Mantra Hindi) : दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करें… मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥ अर्थ है: त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।
