Published On : Tue, Mar 13th, 2018

धामवासियों ने स्वच्छ भारत मिशन को दिखाया आइना, कचरा पेटी को किया आग के हवाले

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नागपुर: मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में शीर्ष पर दिखने के चक्कर में मनपा प्रशासन ने केंद्रीय दल के स्थल दौरे की खूब साफ सफाई की। अंतिम सप्ताह में अभियान के तहत मिली निधि का जहां-जहां दुरुपयोग किया गया था, वहीं केंद्रित करें। जैसे ही केंद्रीय दल नागपुर से उड़ा, शहर की स्वच्छता को ग्रहण लग गया। माहभर इंतज़ार के बाद कल शाम प्रभाग क्रमांक ११ अंतर्गत आने वाली धामवासियो ने कचरे से लबरेज कंटेनर को आग के हवाले कर दिया, जो आज सुबह तक धधक रहा था। कचरा संकलन का काम कनक का है और कनक के प्रमुख इस इलाके से कचरा संकलन करने पर रोक लगा रखा है. इसकी भनक लगते ही धामवासियों ने कंटेनर को आग के हवाले कर दिया। कल शाम इस परिसर में वर्तमान भांडेवाडी जैसा माहौल व बदबू का वातावरण परिसर को प्रदूषित कर रहा था।

कमाई के लिए निधि का दुरुपयोग
उक्त धाम यूं तो अतिक्रमण है। यह वर्ष 2009 से लगभग 8 लेआउट व उनके प्लॉट धारकों के जगह पर बसी है। बसाने वाला राज्य गृह मंत्रालय की वक्र दृष्टि से जेल की हवा खा रहा है। इसे जेल भेजने के लिए एसआईटी का गठन किया गया था, एसआईटी में जब सत्ताधारी के करीबी दायरे में आने लगे तो एसआईटी भंग कर दी गई। इस धाम में 600 से 800 घर हैं, जिसमें प्रमुखता से शौचालय हैं। शौचालय के साथ गंदे पानी को पाइप लाइन के जरिये पास के नाले में छोड़ दिया गया है। बावजूद इसके मंगलवारी जोन ने मनपा मुख्यालय के आयुक्त स्तर के अधिकारी को विश्वास में लेकर स्वच्छ भारत अभियान के तहत मिली निधि का दुरुपयोग करते हुए 2-2 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया। पीने के पानी की दिक्कत शुरू हो चुकी है। लेकिन इन शौचालय को स्वतंत्र लाइन दी गई। ये इस लाइन से शौचालयों में कम पानी को घरों में इसतेमाल के साथ 24 घंटे बहाते दिख जाएंगे।


मंगलवारी ज़ोन स्वास्थ्य विभाग की मनमानी
उक्त क्षेत्र मंगलवारी जोन अंतर्गत आता है। इस जोन के अधिकारी हरीश राऊत की शह पर स्वास्थ्य अधिकारी बोकरे, इनके सहायक रोशन नानेटकर विभाग में वर्षों से कुंडली मार के बैठे हैं. ये विभाग प्रमुख की एक नहीं सुनते। दांडेगांवकर के करीबी बतलाते हैं. जोन के जिस इलाके से रोजाना, साप्ताहिक, मासिक नगदी लाभ होता है, उसी जगह की नियमित साफ़-सफाई करने की गारंटी देते है। यहां तक कि सफाई कर्मियों से भी मासिक उगाही करते है, जिसने इनकी मांग पूरी नहीं की उन्हें या तो घर बैठा देते हैं, या फिर अतिरिक्त जिम्मेदारी देकर अत्याचार करते पाए गए। हरीश राऊत की दुश्मनी एक पदाधिकारी से होने की बात किसी से नहीं छुपी, जब वह पदाधिकारी नगरसेवक नहीं था तब पूर्व आयुक्त श्रवण हर्डीकर के निर्देश पर चोरी की मटेरियल ढुलाई का मामला राऊत ने दर्ज करवाया था. इस पदाधिकारी के साथ अन्य की शिकायत पर राऊत का तबादला हो ही गया था लेकिन ऐन वक़्त पर सांसद अजय संचेती के हस्तक्षेप पर राऊत अपना तबादला रुकवाने में सफल रहे। धाम वासियों के परिसर में स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी समझ से परे है, जबकि कर के रूप में वे ६०० से ८०० घर फूटी कौड़ी भी नहीं देते हैं। और जो देते हैं उस इलाके से स्वास्थ्य अधिकारी बोकरे, इनके सहायक रोशन नानेटकर सफाई कर्मी हटा लेते हैं। इन इलाकों में नियमित साफ़-सफाई के लिए मासिक ८००० रुपए की मांग इन्होने की हैं।

स्लम दर्शाकर मुफ्त का पानी दे रहे
मंगलवारी जोन मुख्यमंत्री की वक्र दृष्टि वाली क्षेत्र और आम लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई से जैसे-तैसे जोड़ कर खरीदी प्लॉटों पर एक सजायाफ्ता भूमाफिया ने कब्ज़ा कर बस्ती बैठा दिया। इसी अवैध बस्ती बैठाने के चक्कर में तथा मंत्री भ्राता की धुलाई करने के कारण उक्त भू माफ़िया जेल की हवा खा रहा तो दूसरी ओर मनपा प्रशासन आम जनता और मुख्यमंत्री से खिलाफत कर उक्त अतिक्रमणकारियों को स्लम दर्शाकर आधा दर्जन ‘कम्युनिटी नल कनेक्शन ” दे रखा है। यह नल २४ घंटे सचमुच जल देती है। इसी कनेक्शन से ‘कम्युनिटी टॉयलेट ” के लिए जलापूर्ति की जा रही है। यह जलापूर्ति का बस्ती वाले शौचालय के बजाय गृह उपयोगी कार्यों के लिए ढुलाई करते कभी भी दिख जाएंगे। इस परिसर में आने वाला कुल जल का २५ से ३०% रोजाना बस्ती वाले बर्बाद करते हैं।


बस्ती पर कोराडी पुलिस का शह
गृहमंत्री नागपुरी लेकिन शहर में अनेक बस्ती ऐसी है, जहां गैरकानूनी धंधा फल-फूल रहा है। उक्त धाम में चोरी और चोरी के सामानों को फुर्ती से निपटाया जाता है। इस बस्ती में हर प्रकार के अवैध धंधे हो रहे हैं, कोराडी पुलिस का वरद हस्त बतलाया जा रहा है।

पूर्व पालकमंत्री थे मेहरबान
जब व जितने दिनों के लिए भी एक पूर्व पालकमंत्री सत्ता पर रहे, उसने इस बस्ती का सबसे ज्यादा भला किया। इस बस्ती में नागपुर सुधार प्रन्यास के मार्फ़त सड़क आदि मुलभुत सुविधाएं उपलब्ध करवाई। पालकमंत्री की निधि से बिजली के खम्बे आदि पूर्ति करवाए, लेकिन बस्ती वालों ने उसका सिला नहीं दिया।