“मैं समंदर हूँ… लौट कर आऊँगा!” — महाराष्ट्र की राजनीति में इस एक वाक्य ने इतिहास रच दिया। यह वाक्य जिस नेता के मुख से निकला, वह और कोई नहीं बल्कि देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस हैं। आज, 22 जुलाई 2025 को वे अपना 55वां जन्मदिन मना रहे हैं। नागपुर की धरती पर जन्मे, सादगी से जीवन जीनेवाले और संघर्ष से सफलता पानेवाले इस नेता को आज महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे प्रभावशाली चेहरा माना जाता है।
नागपुर की गलियों से विधानभवन तक का सफर-
वर्ष 1999 में जब वे मात्र 29 वर्ष के थे, तब पहली बार विधायक बने। उस समय उनके पास अपनी गाड़ी तक नहीं थी, न ही कोई बड़ा राजनीतिक समर्थन। कई बार वे ऑटोरिक्शा से विधानभवन पहुँचते, और एक बार तो ऑटो न मिलने के कारण लगभग दो किलोमीटर पैदल चलकर विधानसभा पहुँचे। एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले इस युवा ने केवल अपनी कार्यक्षमता के बल पर राज्य के नेतृत्व तक का सफर तय किया।
राजनीति से दूर रहने वाला युवक कैसे बना नेता?
देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधरराव फडणवीस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ से जुड़े हुए थे। घर में राजनीतिक माहौल होने के बावजूद देवेंद्र शुरू में राजनीति से दूर रहना चाहते थे। नागपुर विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई के दौरान उन्होंने छात्र राजनीति से दूरी बनाकर रखी। लेकिन एक दिन जब कॉलेज में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई आगे नहीं आया, तो उन्होंने पहल की। यहीं से उनके नेतृत्व गुण निखरने लगे।
इंदिरा स्कूल से नाम कटवाया — बचपन में लिया राजनीतिक फैसला-
बचपन में वे नागपुर के इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते थे। जब देश में आपातकाल लगा और उनके पिता को राजनीतिक कारणों से जेल में डाल दिया गया, तो देवेंद्र ने स्कूल का नाम इंदिरा गांधी से जुड़ा होने के चलते वहां से अपना नाम खुद हटवा लिया। यह उनके बालमन की राजनीतिक चेतना और आत्मसम्मान का प्रतीक था।
संघर्षों से भरी लेकिन दृढ़ राजनीतिक यात्रा-
कॉलेज के आंदोलनों से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर नगरसेवक बनने तक पहुँचा। इसके बाद वे नागपुर के सबसे युवा महापौर बने। 1999 में वे विधायक बने और महाराष्ट्र विधानसभा की कई महत्वपूर्ण चर्चाओं में भाग लेने लगे। 2014 में वे राज्य के पहले ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल में शासन को स्थिरता, निवेश और शहरी विकास जैसे मुद्दों पर नई दिशा मिली।
“मैं लौटूंगा” — आत्मविश्वास की घोषणा
2019 में राजनीतिक समीकरण बदले और फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। लेकिन “मैं समंदर हूँ, लौट कर आऊँगा” यह वाक्य केवल जुमला नहीं था, बल्कि उनके आत्मविश्वास की जीती-जागती मिसाल था। कुछ ही वर्षों में वे राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में लौटे और दोबारा राज्य की निर्णय प्रक्रिया के केंद्र में आ गए।
साधारणता से असाधारण तक-
देवेंद्र फडणवीस का जीवन संघर्ष, सादगी और नेतृत्व का मेल है। छात्र जीवन के आंदोलनों से लेकर सत्ता के शीर्ष तक का उनका सफर हर नए कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा है। अपनी सरलता और दूरदर्शिता के दम पर उन्होंने राजनीति में अपनी खास पहचान बनाई। आज भी यह ‘समंदर’ अपनी लहरों से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है।