Published On : Mon, Nov 20th, 2017

पाबंदी के बावजूद शहर में बिकना शुरू हुआ नायलॉन मांजा

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Nylon Manja
नागपुर: भले ही अभी संक्रांत त्योहार को थोड़ा समय हो लेकिन नागपुर शहर के कई इलाकों में अभी से पतंग उड़ाना शुरू हो चुका है. नायलॉन मांजे पर पिछले वर्ष से प्रतिबंध लगा हुआ है, बावजूद इसके शहर में कई जगहों पर चोरी छिपे से नायलॉन मांजे की बिक्री शुरू हो चुकी है. हाईकोर्ट समेत नॅशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से भी प्लास्टिक कोटेड मांजे पर प्रतिबंध है. दुकानदार और व्यापरियों को केवल सादा धागा ही बेच सकते हैं. बावजूद इसके शहर में इतवारी, गांधीबाग और अन्य जगहों पर केवल पहचान वालों को ही नायलॉन मांजा उपलब्ध कराए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी है.

नायलॉन मांजे में मुख्य रूप से कार्रवाई करने के और शहर में नायलॉन मांजे न बिक पाए इसकी जिम्मेदारी पुलिस विभाग पर भी है. लेकिन उन्होंने भी अब तक इसकी शुरुवात नहीं की है. जबकि पिछले वर्ष सितम्बर महीने के बाद से पुलिस एनजीओ के माध्यम और नागपुर महानगर पालिका के सुचना पर दुकानदारों पर कार्रवाई करने को लेकर सक्रिय दिखी थी, लेकिन इस बार वह सक्रियता नहीं दिखाई दे रही है. जबकि मांजा शहर में पहुंचना शुरू हो चुका है. इस मांजे के कारण अब तक कई दुपहिया वाहनचालक जख्मी हुए थे तो कईयों की जान भी गई है. साथ ही इसके पशु पक्षियों के साथ ही पर्यावरण को भी खतरा पहुंच रहा है. लेकिन फिर भी शौकीन लोग शौक से नायलॉन मांजा खरीद रहे हैं और बेचनेवाले इसे चोरी छुपे बेच भी रहे हैं.

इस बारे में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड, मानद पशु कल्याण अधिकारी करिश्मा गलानी ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे देश में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नायलॉन मांजे पर बंदी लगाई है. नायलॉन मांजे को लेकर हाईकोर्ट में केस जीत चुके हैं. दो साल पहले राज्य में पहली एफआईआर भी नागपुर में ही दर्ज की गई थी. नायलॉन मांजा बेचने को लेकर सख्त प्रावधान हैं. जिसमें बेचनेवालों को पर्यावरण प्रोटेक्शन एक्ट 1985 के कानून के अंतर्गत उसमे संशोधन करने के बाद 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए जुर्माना है. बावजूद इसके शहर में अपने पहचानवालों को नायलॉन मांजा बेचा जा रहा है. मांजे को बेचने से रोकने के लिए पुलिस की अहम् भूमिका होती है. लेकिन शहर में पुलिस निरीक्षक के स्तर पर कुछ भी नहीं होता. डीसीपी स्तर पर ही इसके कार्रवाई के आदेश दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि शहर में मांजा बिक रहा है. जिसके कारण पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध ही है. गिलानी ने बताया कि कुछ ही दिनों में पुलिस आयुक्त को भी कार्रवाई शुरू करने का निवेदन दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस नायलॉन मांजे के कारण पशु पक्षियों के साथ ही पर्यावरण को तो नुक्सान पहुंच ही रहा है साथ ही कई लोगों की जान भी गई है.

तो वहीं इस बारे में वेटरीनरी डॉक्टर और पक्षी विशेषज्ञ डॉ. बाहर बाविस्कर ने बताया कि पिछले वर्ष की पाबन्दी के बाद पक्षियों के जख्मी होने में 4 से 5 प्रतिशत की कमी आई थी. हर वर्ष नायलॉन मांजे के कारण 30 से 40 पक्षियों की मौत होती है. उन्होंने बताया कि नायलॉन मांजे पर पाबन्दी है,लेकिन इस नियम का सही तरह से पालन होना चाहिए तभी कुछ हो पाएगा.

इस बारे में नागपुर महानगर पालिका के स्वास्थ विभाग के डॉ. प्रदीप दासरवार से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने मीटिंग में होने की बात कहकर प्रतिक्रिया नहीं दी.