नागपुर: उत्तर नागपुर का सर्वांगीण विकास हो. यही मेरी एकमेव इच्छा है.उत्तर नागपुर के माथे पर लगा ‘ पिछड़ा उत्तर नागपुर ‘ का कलंक पोछना है. यह कहना है पूर्व विदेश अधिकारी मधुसूदन गवई का. वे 17 सितम्बर को आयोजित पत्र परिषद् में पत्रकारों को संभोदित कर रहे थे. मधुसूदन गवई 30 साल भारतीय विदेश सेवा में रहे . 2009 में उन्होंने स्वैच्छानिवृत्ति ली. उस दौरान वे लंदन में उच्चायुक्त कार्यालय में सचिव पद पर कार्यरत थे. जब उन्होने रिटायरमेंट लिया तो उनकी 7 साल की ड्यूटी बाकी थी.
लेकिन देशप्रेम के खातिर,समाज के भले की लिए, दलित, वंचित , गरीब,शोषित लोगों के भले के लिए उन्होंने अपनी नौकरी का त्याग किया. गवई के पिता पद्माकर गवई देश में सुपरिचित थे. उन्होंने भी अनेको बड़े पदों पर कार्य किया है. जिलाधिकारी, विभागीय आयुक्त, राज्यपाल तक उन्होंने सफर तय किया है. उनके ज्ञान, प्रभाव और अनुभव का परिणाम मधुसूदन पर पड़ा उनका बचपन नागपुर के ही स्कुल में बिता.
जिसके कारण उन्हें नागपुर के सामाजिक सांस्कृतिक मुहीम की अच्छी जानकारी है. इनके दादा जी.ए.गवई ये उस समय शोषित वर्ग के प्रमुख नेता थे.महात्मा गांधी के साथ वे लंदन स्थित गोलमेज परिषद् में मौजूद थे. इतना ही नहीं तो बाबासाहेब आंबेडकर और गाँधी के बीच हुए पुणे करार पर उन्होंने सिग्नेचर किए थे. इतने बड़े ऐतिहासिक पृष्टभूमि से तालुक्क रखनेवाले मधुसूदन गवई है.
अपने पिता के नाम से मधुसूदन ने ट्रस्ट की शुरुवात भी की थी. जिसके माध्यम से जन उपयोगी कार्य किए जाते है. 2 मोबाइल डिस्पेंसरी स्थापित कर विशेष्ज्ञ डॉक्टरों के द्वारा लोगों की सेवा की जाती है. उत्तर नागपुर के लगभग 30 झोपड़पट्टियों में गरीब मरीजों को निशुल्क दवाईयों का वितरण किया जाता है. इसका लाभ अब तक 20 लाख मरीजों ने लिया है. इसके साथ ही कई सामाजिक उप्रकम भी उनके द्वारा किए गए. उसमे बोरगांव की पहली डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना, 2017 में एग्रोविजन के माध्यम से 130 जरूरतमंद किसानो को सुरक्षा किट समेत फव्वारे के सामान भी दिए गए थे. 2017-18 में कलमेश्वर, काटोल, सावनेर,खेड़ी में एनसीजी-एनसीएचआरआई के माध्यम से कैंसर की जांच की गई. इनके द्वारा उत्तर नागपुर में राज पब्लिक स्कुल की शुरुवात कर गरीब विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा का मौका उपलब्ध करवाया गया है.
इस दौरान उन्होंने आशा की है की आनेवाले विधानसभा चुनावं में उत्तर नागपुर के विकास के लिए वे चुनावं में लड़ने के इच्छुक है. उनका कहना है की अगर भाजपा पार्टी उन्हें मौका देती है तो वे चुनाव लड़ सकते है.
