Published On : Sat, Sep 22nd, 2018

देना बैंक घोटाले का सूत्रधार बिल्डर गिरफ्तार

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Man Arrested

Representational Pic

नागपुर : कैश क्रेडिट (सीसी) लिमिट समेत देना बैंक के साथ दो करोड़ रुपए की जालसाज़ी करनेवाले बिल्डर समीर चट्टे को अपराध शाखा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

अपराध शाखा पुलिस ने 18 जून को चट्टे और उसके साथियों के ख़िलाफ मामला दर्ज किया था. 3 मार्च 2018 को अनसूया ट्रेडिंग कंपनी के संचालक गांधीनगर निवासी दिलीप मोरेश्वर कलेले ने देना बैंक में दो करोड़ रुपए के कैश क्रेडिट (सीसी) के लिए अर्ज किया. कलेले ने खुद के प्लास्टिक टेबल-कुर्सी का व्यापारी होने की जानकारी दी. जिस पर बैंक के तत्कालीन व्यवस्थापक चंद्रकांत अनगरे ने 3 मार्च 21 मार्च 2016 के बीच फर्म को दो करोड़ की निधि जारी की थी. यह रकम कलेले के फर्म से मेसर्स अरेना इंडस्ट्रीज के भागीदार समीर भास्कर चट्टे, मेहुल रजनीकांत धुवाविया, एमबीके अपार्टमेंट, वैष्णोदेवी चौक और मां तुलजा भवानी ट्रेडिंग कार्पोरेशन के खाते में ट्रान्सफर कर निकाल लिए गए.

बैंक के फिलहाल के व्यवस्थापक मो. शफी हैदर की शिकायत पर अपराध शाखा ने जांच शुरू की. जांच के दौरान कलेले और समीर चट्टे का रिश्तेदार होने का भी खुलासा हुआ. सीसी लिमिट के बदले अनिता अरुण नागभीडकर ने एनआयटी द्वारा लीज पर दी गई संपत्ती एनआयटी के मंजुरी बिना गिरवी रख दी थी. सीसी लिमिट लेने को लिए सीए फर्म एस. एम. कोठावाला अँड असोसिएट ने बनावटी बैंलेंस शीट तयार कर 2016-17 में व्यवसाय में शत प्रतिशत बढ़त दिखाई. अपराध शाखा पुलिस द्वारा 16 जून को जालसाज़ी का अपराध दर्ज किए जाने की जानकारी मिलते ही समीर चट्टे फ़रार हो गया.

इस दौरान हुई एक दुर्घटना में वह ज़ख़्मी भी हो गया था. वहीं ड्रायवर की मौत हो गई थी. न्यायालय में अग्रिम जमानत मिलना मुश्किल होता देख वह फ़रार हो गया था. इस मामले में यह दूसरी गिरफ़्तारी बताई जा रही है. जबकि आशंका ज़ाहिर की जा रही है कि मामले में लिप्त मेहुल धुवाविया व अन्य आरोपी शहर में ही छिपे हो सकते हैं.

१०० करोड़ पार करने का था इरादा
इस घोटाले में शाखा ने 19 में 100 १०० करोड़ की जालसाज़ी का दावा किया है. जिसमें सीए फर्म अजय-अमर असोसिएट का नाम भी सामने आ रहा है. पुलिस ने आगामी दो दोषियों के ख़िलाफ अपराध दर्ज कर कार्रवाई करने की सूचना दी थी. तीन महीने में अपराध शाखा पुलिस और बैंक के अधिकारियों ने कोई कारवाई नहीं की. सूत्र बता रहे हैं कि कुछ दिन पहले ही पुलिस, बैंक और आरोपियों को बीच समझौता हुआ था. जिससे इस घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में पहुंच गई. ऐसे में मामले की स्वतंत्र जांच करने पर खलबली मच सकती है.