Published On : Fri, Dec 21st, 2018

नियमों की आंख दिखानेवाले बैंक चल रहे रेज़िडेंशियल एरिया में, नागरिक कर रहे कार्रवाई की मांग

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एसबीआई,एचडीएफसी,आईसीआईसीआई की काटोल शाखाओं का मामला

अमूमन देश की छोटी-बड़ी बैंक ग्राहक बनाने के लिए लुभावने वादे करती है फिर जब ग्राहकों को सुविधा देने की बारी आती है तो बैंक प्रबंधन नियम की आड़ लेकर चक्कर खिलवाने के साथ जुर्माना जबरन वसूल लेती है. ग्राहकों को नियम का आईना दिखाने वाली बैंक अगर गड़बड़ी करे तो उन पर भी कानूनी कार्रवाई करने की मांग उठ रही है.

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ऐसा ही मामला काटोल शहर में देखने में आया है. यहां एसबीआई,एचडीएफसी,आईसीआईसीआई की काटोल शाखा अवैध ईमारत में है जो रेसिडेंशियल एरिया भी बताया जा रहा है. अब जिला प्रशासन से कानूनन कार्रवाई की मांग स्थानीय जागरुक नागरिकों ने की है.

एचडीएफसी बैंक :- इसकी शाखा फल्ली बाजार में है. यह जगह सुरेंद्र चरडे की है. यह जगह रेसीडेंशल ज़ोन में है. इसकी उपयोगिता बदली नहीं गई है. इसका नक्शा भी निवास के लिए मंजूर किया गया है. उपयोगिता में बदलाव के लिए जिलाधिकारी की मंजूरी अनिवार्य है.

इसके अलावा शाखा जिस बिल्डिंग में है, यह बिल्डिंग भी अनाधिकृत है. क्यूंकि नगर परिषद् के मंजूर नक़्शे के हिसाब से इस बिल्डिंग का निर्माण नहीं हुआ. अवैध निर्माणकार्य के कारण पार्किंग के लिए जगह नहीं छोड़ी गई, जिसके कारण बैंक के सामने की सार्वजानिक सड़क पर ग्राहकों के वाहन खड़े करने से यातायात बाधित हो रहा है.

आईसीआईसीआई बैंक:- यह शाखा नागपुर के विवादास्पद बिल्डर की ऑरेंज प्लाजा में स्थित है. नगरपरिषद ने इस प्लाजा को अवैध निर्माण का नोटिस दिया हैं तो इस संकुल पर न्यायालय में मामला चल रहा है. उक्त दोनों इमारतों के पास अग्निसुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि नगरपरिषद ने उक्त दोनों बैंक शुरू करने के लिए एनओसी किस आधार पर दिया और आरबीआई ने फिर बैंक शाखा शुरू करने की अनुमति कैसे दी ?

एसबीआई बैंक:- इसकी शाखा नेहरू बाजार में है. यह जगह नगरपरिषद की है. नगरपरिषद ने यह जगह डॉक्टर पलसापुरे को निवासी उपयोग के लिए दिया था. यह जगह भी निवासी उपयोग के लिए मंजूर की गई थी. लेकिन पलसापुरे,नगरपरिषद के संबंधितों की मिलीभगत से उक्त शाखा गैरकानूनी जगह पर शुरू है. लगभग ६ माह पूर्व नगरपरिषद ने नोटिस दिया था, उसके बाद नगरपरिषद नियमित नज़रअंदाज कर रही है.

उल्लेखनीय है कि जरा सी भूल पर बैंक अपने ग्राहकों पर बड़े बड़े जुर्माने वसूलने में नहीं हिचकिचाती. तो बैंकों की उक्त जानबूझ कर की गई गलती पर नियमानुसार शीघ्र कड़क कार्रवाई की मांग की जा रही है. साथ ही इसके संरक्षक सरकारी अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग उठ रही है.

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