Published On : Fri, Jan 11th, 2019

दिसंबर की डेड लाइन बीत गई,पतंजलि फ़ूड पार्क शुरू होने का शुभ मुहूर्त अब तक नहीं निकाला

नागपुर: आज की तारीख है 11 जनवरी 2019,नया वर्ष शुरू हुए 11 दिन बीत चुके है लेकिन योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि नागपुर में अपने हर्बल एंड फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट में उत्पादन शुरू करने के असफल साबित हुई है। नागपुर और आस पास के इलाकों में युवकों को रोजगर देने और किसानों को समृद्ध करने के सपने के साथ बीजेपी सरकार ने बाज़ार भाव से बेहद कम मूल्य में बाबा की कंपनी को ज़मीन वितरित की थी। बाबा को मिहान स्थित स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन में 234 एकड़ जगह उपलब्ध कराई गई है।

करार की शर्तो में मुताबिक कंपनी को ज़मीन हस्तांतरण के बाद 18 महीने के भीतर उत्पादन शुरू कर देना था। लेकिन कंपनी कई बार इस शर्त का उल्लंघन कर चुकी है। हालही में कहाँ गया था कि दिसंबर 2018 से उत्पादन शुरू हो जायेगा। लेकिन ऐसा करने में भी योग गुरु की कंपनी असफल साबित हुई है। वर्तमान में इस प्लांट का निर्माणकार्य शुरू ही है।

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फ़िलहाल मशीनरी स्थापित किये जाने का काम हो रहा है जिसके लिए भी महीनों लग सकते है। जिस गति से काम हो रहा है उसके अनुसार इस सरकार के कार्यकाल में बड़ा के प्लांट में उत्पादन शुरू हो जाये इसकी संभावना कब ही है।

बाबा रामदेव को नागपुर में लाने का प्रमुख मक़सद था रोजगार के अवसरों को पैदा करना मगर अब तक ऐसा हो नहीं पाया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कंपनी ने नागपुर के प्लांट के रोजगार के अवसर देने के लिए और नौकरी की नियुक्तियों के लिए सीधा रास्ता न अपनाते हुए कॉन्ट्रैक्ट पद्धति को अपनाया है। भविष्य में जब नियुक्तियां शुरू होंगी तो वह किसी एजेंसी के माध्यम से होगी। जिन युवकों को नौकरियाँ मिलेगी उन्हें दो वर्ष की समयवधि के करार के साथ काम पर रखा जायेगा। यानि प्रत्यक्ष रोजगार कंपनी नहीं देगी। प्लांट के कामकाज को संभालने के लिए प्रशासनिक स्तर के पदों की नियुक्ति कंपनी के हेडक्वार्टर से हुई है। लगभग 15 लोगों की टीम जो संचालन से जुडी है। वह हरिद्वार से आयी है। इतना ही नहीं मजदूरी के काम के लिए राज्य को प्राथमिकता नहीं मिली है। निर्माणकार्य से जुड़े अधिकरत मजदूर झारखंड के है।

बाबा रामदेव और खुद सरकार द्वारा इस प्लांट को लेकर की गई मार्केटिंग की वजह से बेरोजगार युवकों में पतंजलि हर्बल एंड फ़ूड पार्क को लेकर काफी उत्सुकता देखने को मिल रही है। लेकिन युवकों की उत्सुकता उस वक्त निराशा में बदल जाती है जब महीनों पहले किये गए आवेदन का कोई जवाब नहीं मिलता। अकेले इस प्लांट में रोज औसतन 15 युवक विभिन्न पदों के लिए आवेदन कर रहे है। अब तक पांच हज़ार से ज़्यादा आवेदन कंपनी के पास आ चुके है। मगर नौकरियाँ तभी मिलेगी जब प्लांट शुरू हो पायेगा।

मिहान के अंतर्गत सेज़ में रोजगार के अवसर पैदा न कर पाने का यह मात्र एक उदहारण नहीं है। सेज़ में 64 कंपनियों ने जगह ली है जिनमे से मात्र 12 कम्पनियाँ थोड़े बहुत रोजगार देने में सफल हो पायी है। कई कंपनियों ने तो काम भी शुरू नहीं किया है। ऐसे में बेरोजगारों के पास भटकने के अलावा कोई रास्ता बचता नहीं है।

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