नागपुर। आर्य विद्या सभा द्वारा संचालित दयानंद आर्य गर्ल्स स्कूल में मुस्लिम छात्राओं को प्रवेश न देने के आरोपों पर नया मोड़ आ गया है। पूर्व प्राचार्या द्वारा लगाए गए इन आरोपों की सच्चाई कोर्ट में उजागर हो गई। मामले में विद्यालय सोसाइटी के सचिव राजेश लालवानी और दो सहायक शिक्षकों ने गिरफ्तारी की आशंका के चलते जिला सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों में बताया गया कि वर्तमान में स्कूल में 210 मुस्लिम छात्राएं अध्ययनरत हैं और हाल ही में 7 मई 2025 को एक मुस्लिम छात्रा को कक्षा 9वीं में दाखिला दिया गया है। इस अहम जानकारी के सामने आने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-3 एस.पी. पोंक्षे ने तीनों आरोपियों को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।
कोर्ट की चेतावनियां और निर्देश
अदालत ने जरीपटका पुलिस को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न इस अंतरिम संरक्षण को स्थायी किया जाए। साथ ही याचिकाकर्ताओं को जांच में पूर्ण सहयोग देने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करने, तथा किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में संलिप्त न होने की शर्तों के साथ राहत दी गई है।
पूर्व प्राचार्या ने आरोप लगाया था कि स्कूल में मुस्लिम छात्रों को जानबूझकर दाखिला नहीं दिया जा रहा, जो शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
प्राचार्या के खिलाफ भी उठे सवाल
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता प्राचार्या को 17 अप्रैल 2025 को निलंबित किया जा चुका है। उनके व्यवहार को लेकर स्कूल के 36 कर्मचारियों की ओर से लिखित शिकायतें भी दर्ज की गई थीं।
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान रिपोर्ट शिकायतकर्ता द्वारा दी गई है और अब तक के तथ्यों से यह स्पष्ट नहीं होता कि याचिकाकर्ताओं को हिरासत में लेना आवश्यक है। ऐसे में अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए अंतरिम राहत देना उचित समझा।