Published On : Mon, Jul 31st, 2017

नागपुर साइबर सेल कई मामलों की तफ्तीश में नाकाम, ‘पी. आई.’ की जगह हैं अब तक रिक्त

Cyber Crime
नागपुर
: 20 मई 2017 को साइबर शिकायत निवारण केंद्र की शुरुवात की गई थी. जिसके बाद विभाग की ओर से अच्छा कार्य किया गया. बैंक अधिकारी के नाम पर एक पीड़ित को फ़साये जाने के बाद 22 जुलाई को पीडित शिकायतकर्ता को 9 लाख 31 हजार रुपए लौटाए गए है. प्रधानमंत्री कौशल्य योजना के नाम पर युवाओं को फ़साने वाले गिरोह का साइबर सेल ने पर्दाफाश किया. जबकी तीसरी कार्रवाई में एटीएम कार्ड द्वारा लोगों को फ़सानेवाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया. इसमें झारखंड से 2 आरोपियों और 2 विधिसंघर्षग्रस्त बालको को कब्जे में लिया गया. इस गिरोह के आरोपियों ने महाराष्ट्र, गुजरात, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान में युवाओं के साथ धोखाधड़ी की थी. इन लोगों ने महाराष्ट्र के कुल 9500 लोगों को संपर्क कर उन्हें ठगने का प्रयास किया था.

सायबर सेल में कुल 570 शिकायते आयीं है. जिसमे से मात्र 75 शिकायते सुलझाने में सायबर सेल सफल रहा है. इन आकड़ो से स्पष्ट है कि, साइबर सेल का कार्य विशेष सराहनीय नहीं है. आकड़ों के मुताबिक मोबाइल मिसिंग के 209 मामलों में से अब तक साइबर सेल केवल 16 मामले ही सुलझा पायी है. जबकी मनी ट्रांसफर क्रेडिट कार्ड के मामलों में 210 शिकायते आयी हैं, जिसमे से सिर्फ 21 मामले ही सुलझ पाये हैं.

सूत्रों के अनुसार, नागपुर साइबर सेल में 22 कर्मचारी और 7 अधिकारियों का स्टाफ बताया जा रहा है. आईटी एक्ट सेक्शन 78 के अनुसार केवल पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी ही साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की जांच कर सकते है. लेकिन नागपुर साइबर सेल में पुलिस निरीक्षक की जगह अब तक खाली बतायी जा रही है. जहाँ एक और नागरिकों में जागरूकता के कारण साइबर क्राइम की शिकायतों में बढ़ोतरी हुई है, वहीं नागपुर पुलिस प्रशासन का साइबर सेल के प्रति यह रवैय्या उचित नहीं है.

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आंकड़ों एवं प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बैंक फ्रॉड में अधिकतर फर्जी कॉल झारखंड के जामतारा गांव से किये जाते हैं. वहां से आरोपी को लाना मुमकिन नहीं है. इसलिए नागपुर साइबर सेल की तरफ से नागरिको में जनजागृति हेतु सोशल मीडिया द्वारा स्कूल, कॉलेजो में अभियान चलाया जा रहा है. अगर आंकड़ों पे गौर करें, तो कुछ मामलों को हल करने में साइबर सेल सफल रही है, लेकिन कई मामलों में उन्हें अपनी कार्यप्रणाली सुधारने की जरुरत है. इस सन्दर्भ में आर्थिक अपराध शाखा कि डीसीपी श्वेता खेड़कर से संपर्क करने की कोशिश की गयी, किन्तु उनसे संपर्क नहीं हो सका.

धोखाधड़ी एवं ऑनलाइन क्राइम की शिकायतों के निवारण का आलेख


—रविकांत कांबले

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