नागपुर: मनपा प्रशासन की गलत नीति और गलतियों के चलते करदाताओं पर बकाया का बोझ सैकड़ों करोड़ रुपए तक पहुंच गया. अब जबकि मनपा की तिजोरी खाली होने की राह पर है तो लुभावनी योजना देकर बकाया वसूलने की पहल की जाने लगी. २० दिन की योजना में २०० करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट तय किया गया. लेकिन १४ दिनों में मनपा को योजना खत्म होने के बाद मात्र रु. २० करोड़ ही मिले तो के गनीमत मानी जाएगी.
याद रहे कि वर्षों से मनपा के जल व संपत्ति करदाताओं का अंकेक्षण में मनपा के उक्त दोनों विभाग के सम्बंधित अधिकारियों व कर्मियों ने अनगिनत त्रुटियां की है. जिसकी वजह से संपत्ति व उपयोग किए जा रहे जल से ज्यादा कर करदाताओं को थोंपा गया. जिन्होंने आक्षेप लिया और जिन्होंने कर चुकाना बंद किया, उनकी समस्या आज तक न सुनी गई और न ही सुलझाई गई. नतीजा यह हुआ कि वैसे सैकड़ों करदाताओं ने कर भरना बंद किया. मनपा का उक्त दोनों विभाग प्रत्येक वर्ष ब्याज दर ब्याज लगाकर उनका बकाया ‘फुगाता’ रहा.
यह वे नागरिक व करदाता थे जिन्हें कर देने की इच्छा थी. शहर में मनपा संपत्ति व जलप्रदाय विभाग के आशिर्वाद से ऐसे भी नागरिक हैं जिन पर मामूली कर लगाया जाता है. और ऐसे लगभग ढाई लाख सपत्तियां है जिसका अंकेक्षण आज तक नहीं हुआ है. ऐसे आज तक मनपा संपत्ति कर से पूर्ण मुक्त है. इसकी नकेल कसने के लिए मनपा प्रशासन ने कभी अपने संबंधित विभाग की जिम्मेदारी व कर्मियों के कार्यों का अंकेक्षण नहीं किया। नतीजा मनपा प्रशासन को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने की नौबत आ चुकी है.
मनपा का शहर में निरंतर संपत्ति व जल कर चुकाने वालों पर ही कर का बोझ है, इन्हें भी सताने में अक्सर मनपा कोई मौका छोड़ती नहीं है.
पिछली बार मनपा ने संपत्ति व जल कर के बकायेदारों से बकाया वसूली के लिए ‘वन टाइम सेटेलमेंट’ याने अभय योजना लाई थी. इसी वक़्त केंद्र सरकार ने पुराने नोट का चलन बंद कर दिया था और पुराने नोट राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा कर उसके बदले में नया नोट दिया जा रहा था. इसकी भी सीमा तय थी, यह भी तय था कि खुद के खाते में भी सीमित राशि जमा कर सकते हैं. ऐसी सूरत में शहर के नागरिकों ने अपने बकाया कर चुकाने के लिए पुराने नोटों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया था. इसलिए वसूली करोड़ों में हुई थी, लेकिन फिर भी उद्देश्यपूर्ति नहीं हो पाई.
इस बार काफी धूमधाम से मनपा बकायेदारों से वसूली के लिए पिछले दो दिन से सड़क पर नज़र आ रहे हैं. सर्वाधिक बकायेदारों के घर/प्रतिष्ठानों के समक्ष बिना क़ानूनी अनुमति के मनपा अधिकारी, कर्मी, पदाधिकारी, नगरसेवक नगाड़ा बजाकर उन्हें कर भरने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. दरअसल वे बकायेदारों को चिढ़ा रहे हैं. ऐसे में सीमित बकायेदार ही शर्मिंदगी महसूस कर बकाया चुकाएंगे.
योजना १७ जुलाई से शुरू हुई और ७ अगस्त को समाप्त हो जाएगी. १४ दिन बीत चूका है और आज पन्द्रहवां दिन है. अब तक की वसूली यह दर्शा रही है कि योजना के समाप्ति के बाद मनपा को करीब २० करोड़ रुपए की आय हो सकती है. इस असफलता के बाद मनपा प्रशासन को कड़क कार्रवाई करना ही अंतिम पर्याय होगा.
उल्लेखनीय यह है कि मनपा का अस्तित्व बचाने के लिए सम्पत्तिकर को ही मुख्य आय स्त्रोत बनाना होगा। जिसके लिए विभाग में शहर जनसंख्या/सम्पत्तियों के हिसाब से अधिकारियों कर्मियों की नियुक्तियां करनी होगी. जिनके मार्फ़त सम्पूर्ण शहर की सम्पत्तियों का पुनः अंकेक्षण कर वार्ड या प्रभाग के हिसाब से कर संकलन डाटा बनाना होगा. इन सभी कर दाताओं का अगले ५ साल के लिए प्रत्येक वर्ष एकसा कर ढाँचा तय कर देय तिथि भी तय करनी होगी, फिर चाहे मनपा से डिमांड मिले या न मिले तय देय तिथि के पूर्व कर भरने की अनिवार्यता निश्चित करनी होगी. अन्यथा स्थिति ‘ढाक के तीन पात ‘ ही रहेगी.
– राजीव रंजन कुशवाहा