Published On : Tue, Mar 3rd, 2020

कोरोना : चीन में चाव से खाते है पैंगोलिन का मांस, 24 हजार रुपये किलो है खाल की कीमत

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नागपुर– पैंगोलिन एक ऐसा जानवर है जिसकी दुनिया में सबसे अधिक अवैध तस्करी होती है. इसके मांस को जहां चीन और वियतनाम समेत कुछ दूसरे देशों में बेहद चाव से खाया जाता है वहीं इसका उपयोग दवाओं के निर्माण में भी होता है. खासतौर पर चीन की पारंपरिक दवाओं के निर्माण में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है. बीते एक दशक के दौरान दस लाख से अधिक पैंगोलिन की तस्करी की जा चुकी है. यही वजह है कि ये दुनिया का सबसे अधिक तस्करी किए जाने वाला जानवर बन गया है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के मुताबिक दुनियाभर के वन्य जीवों की अवैध तस्करी में अकेले 20 फीसद का योगदान पैंगोलिन का ही है. आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन और वियतनाम में इसका मांस खाना अमीर होने की निशानी है.

कोरोना की वजह पैंगोलिन ?
हां तक चीन की बात है तो वहां पर कई जानवरों का मांस बाजार में आम बिकता है. कोरोना की मार झेल रहे चीन को लेकर बीते दिनों एक खबर ये भी आई थी इस वायरस के तेजी से फैलने के पीछे चमगादड़ है. चमगादड़ों का मांस भी वहां पर खाया जाता है. इसके अलावा इसका सूप पीने वाली एक महिला ब्लॉगर की एक वीडियो बीते दिनों काफी वायरल हुई थी. हालांकि ये वीडियो चीन में नहीं फिल्माया गया था. लेकिन अब एक नया तथ्य सामने आ रहा है. इसमें कहा जा रहा है कि इस वायरस के फैलने के पीछे पैंगोलिन के मांस का सेवन है.

सबसे बड़ी हैरानी की बात ये भी है कि इस जानवर से किसी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. ये जानवर बेहद शर्मिला होता है और इंसानों की नजरों में आने से पहले ही भाग लेता है. पैंगोलिन अपना आशियाना ज्यादातर जमीन के नीचे बिल बनाकर या फिर सूखे और खोखले हो चुके पेड़ों में बनाता है. लेकिन पैसों के लालच में तस्कर इसकी जान को नहीं बख्‍शते हैं.

पैंगोलिन का अवैध व्यापार ज्यादातार एशिया में ही होता है. इसके अलावा अफ्रीका में भी इसका व्यापार होता है. पैंगोलिन की खाल से लेकर मांस तक की कीमत हजारों में होती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी खाल की कीमत 24 हजार रुपये किलो तक है. ये केरोटिन की बनी होती है. यह खाल दूसरे जानवरों से बचाव में उसकी रक्षा भी करती है. पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है. इसे भारत में सल्लू साँप भी कहते हैं. पैंगोलिन नाम मलय शब्द पेंगुलिंग से आया है, जिसका अर्थ है जो रोल करता है.

जहां तक पैंगोलिन के अवैध व्यापार की बात है तो ये काफी पुराना है. 1820 में बंगाल के ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल ने पैंगोलिन की खाल का बना एक कोट ब्रिटेन के तत्कालीन किंग जॉर्ज तृतीय को भेंट किया था. ये कोट आज भी लीड्स के रॉयल आर्मरीज में संभालकर रखा गया है.

गौरतलब है कि पैंगोलिन का जीवन चींटी खाकर गुजरता है. यह पृथ्वी पर स्तनधारी और सांप-छिपकली जैसे जानवरों के बीच की कड़ी है. ये एशिया और अफ्रीका के कई देशों में पाए जाते हैं. इनकी खाल के ऊपर ब्लेडनुमा प्लेट्स की एक परत होती है. ये इतनी मजबूत होती है कि इस पर शेर जैसे जानवर के दांतों का भी असर नहीं होता है.

तस्करी की वजह से पैंगोलिन पर अब विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा है. इसकी वजह एक ये भी है कि कुछ देशों में इसको लेकर नियम अलग और बेहद लचीले हैं. आंकड़े बताते हैं कि 2010 और 2015 में पैंगोलिन की तस्करी के करीब 89 मामले सामने में आए थे, लेकिन इनमें से अधिकतर पर कार्रवाई ही नहीं हुई. जिनपर कार्रवाई हुई भी तो उन्‍हें मामूली जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया.