नागपुर जिले में अपराध घटने के बजाय दिनों-दिन बढ़ते जा रहा है.इस पर अंकुश लगाने में पुलिसिया महकमा पूर्णतः असफल रही है.ऐसे में जब नागपुर निवासी मुख्यमंत्री व गृहमंत्री पर जब “क्राइम कैपिटल” का तमगा थोपा जाता है,तब आनन-फानन में जिले के पुलिस खुद का पीठ ठोकने के लिए चर्चित मामलों में अपराधियों पर आगे-पीछे कुछ देखे बिना सीधे मकोका के तहत कार्रवाई करने का क्रम जारी है,वही दूसरी ओर तय समय पर चार्टशीट में त्रुटि होने का फायदा मकोका के तहत अपराधियों को मिलने से जमानत पर छूट जा रहे है और फिर जिले ‘भाऊ” बन पहले से दस गुणा फलफूल रहे है.
विगत विधानसभा के शीतकालीन अधिवेशन में विपक्ष ने मुख्यमंत्री सह गृहमंत्री पर ताना कसते हुए नागपुर जिले की कई घटनाओं का जिक्र करते हुए नागपुर जिले को “क्राइम कैपिटल” से नवाजा था.
मुख्यमंत्री ने प्रति-उत्तर में विपक्ष को जवाब दिया था कि आरोपी कोई भी हो उसे मोहलत नहीं दी जाएगी।गृहमंत्री के इस बयान के तहत न जाने शहर पुलिस को क्या सूझी कोई भी मामला हो,सार्वजानिक के साथ चर्चित होते ही उस मामले के आरोपी को मकोका के तहत एक तरफ कार्रवाई कर रहे है.तो दूसरी ओर 90 दिन में चार्टशीट पेश करने में कई त्रुटि भी छोड़ ( शायद जानबूझ कर या फिर वास्तव में मामूली मामला रहने पर ) देने के कारण मकोका अपराधी जमानत पर छूट जाते है.इससे पुलिस की किरकिरी के साथ ही जमानत पर छुटा अधना सा अपराधी आज जिले में “भाऊ” बन तय रणनीति के तहत राज कर रहा है.क्या पुलिस प्रशासन ने आम अपराधी को “भाऊ” बनाने का जिम्मा लिया है.
उल्लेखनीय यह है कि इसके बावजूद जिले में असामाजिक तत्वों के कारनामो में कमी नहीं आई,आयेदिन बड़ी घटना हो रही है.जिले में सबसे ज्यादा आपराधिक गतिविधियां जोन -५ के तहत जारी है,इस क्षेत्र में राजनितिक दबाव के कारण असामाजिक तत्व फलफूल रहे है.पुलिस विभाग का ” सिंघम” इसी विभाग में तैनात है,फिर भी असामाजिक तत्व अपने शबाब पर होना आम नगरिकों के हजम के बाहर है ?
– राजीव रंजन कुशवाहा