Published On : Mon, Dec 26th, 2016

साख चमकाने के लिए मेरे बेटों को पुलिस ने फंसाया : विधायक खोपड़े

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krishna-khopde
नागपुर : 
क्लाउड 7 बार प्रकरण में फंसे अपने बेटों की बेगुनाही की दलीलें सामने रखने भाजपा विधायक कृष्णा खोपड़े सोमवार को मीडिया के सामने आये। पत्रकार भवन में आयोजित पत्रपरिषद में खोपड़े ने इस मामले में अपने बेटों अभिलाष और रोहित खोपड़े और उसके दोस्तों को बेगुनाह बताते हुए पुलिस द्वारा जानबूझ कर उन्हें फंसाये जाने का आरोप लगाया। खोपड़े ने कहा कि ”पुलिस ने अपनी छवि चमकाने के लिए इस पूरे मामले को अलग मोड़ दे दिया। घटना के बाद पुलिस ने जो कहानी गढ़ी उसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। घटना के बाद पुलिस द्वारा दर्ज की गयी एफआईआर को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। वो जल्द इस मामले और शुभम महाकालकर हत्याकांड की स्टेट सीआईडी जाँच की माँग मुख्यमंत्री से करेंगे।” मामले के इतने दिनों बाद अपना पक्ष रखने के सवाल पर दलील देते हुए विधायक खोपड़े ने कहा कि उनकी प्राथमिकता थी की पहले बेगुनाहो को हवालात से बाहर निकाला जाये।

पुलिस ने बेगुनाहों को फंसाया
कृष्णा खोपड़े के मुताबिक यह घटना एक एक्सीडेंट थी जिसे अलग ही मोड़ दे दिया गया। चूँकि यह मामला उनके बेटों से जुड़ा हुआ था इसलिए पुलिस ने अपनी साख चमकाने के लिए इसमें अतिरिक्त रूचि दिखाई। इस विवाद की वजह बिल का पेमेंट बताया जा रहा है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। उनके बेटे और उसके दोस्त बिल का भुगतान कर बार से निकल रहे थे तभी टेबल पर रखा ग्लास जमीन पर गिरकर टूट गया जिस वजह से विवाद बढ़ा। जबकि बताया ऐसा गया की विवाद डिस्काउंट को लेकर हुआ। होटल में सिर्फ अभिलाष खोपड़े और उसके तीन दोस्त ही मौजूद थे। विवाद के बाद अभिलाष ने रोहित को फ़ोन किया जो उस समय घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं था। रोहित ने अपने मित्र गिरीश गिरधर को फ़ोन किया। जिसने क्लाउड 7 बार में पहुँचकर बाकी लड़को को बाहर निकाला। विवाद के वक्त बार में स्वप्निल और मोहसिन खेड़ीकर, अक्षय लोंदे और अभिलाष खोपड़े मौजूद था। जबकि पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में 9 लड़कों की उपस्थिति दिखायी है। इस मामले को लेकर उन्होंने पुलिस के जिस भी अधिकारी से मुलाकात की उन्होंने यही बताया कि बार में चार लडके ही मौजूद थे। जबकि अकड़ा 9 तक पहुँच गया। इन सभी पर आईपीसी की धारा 307 और 302 के तहत मामला दर्ज किया गया। जाँच अधिकारियो ने उन्हें वरिष्ठ अधिकारी के आदेश पर ऐसा करने की जानकारी दी। ये वरिष्ठ अधिकारी कौन है इसकी भी जाँच होनी चाहिए। खोपड़े ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए बार मालिक के दबाव की वजह से जाँच को प्रभावित करने का आरोप लगाया।

शुभम की हत्या का मास्टरमाइंड सन्नी
कृष्णा खोपड़े ने दावा किया की विवाद साढ़े दस बजे हुआ, साढ़े ग्यारह बजे हत्या हुई और 12 बजे सन्नी बंब्रोतवार अस्पताल में भर्ती हुआ। यह एक सोची समझी चाल थी। शुभम की हत्या का मास्टरमाइंड सन्नी ही है, उसने ही विवाद के बाद गुंडों को बुलाया जिन्होंने शुभम ही हत्या कर दी। घटना के बाद सन्नी सेनगुप्ता अस्पताल में भर्ती हो गया जहाँ से उसे डेढ़ दिन में छुट्टी मिल गई। लेकिन गिरफ़्तारी से बचने के लिए वह अब भी किसी न किसी बहाने से अस्पताल में भर्ती ही है। इस मामले में उन्होंने जाँच अधिकारी, डीसीपी क्राइम पुलिस आयुक्त से मिलकर अपना पक्ष रखा है। पुलिस ने अपनी एफआईआर में शुभम महाकालकर का भी नाम लिखा था जिसे इसकी मृत्यु के बाद हटाया गया। छोटी से घटना पर पुलिस ने आरोपियों पर 307 का अपराध दर्ज किया।जबकि मुख्य आरोपी सन्नी ब्रमोतवर 302 की बजाये 326 कलम के तहत मामला दर्ज कर उसे जमानत में मदद करने का आरोप लगाया।

इस पत्रपरिषद में कृष्णा खोपड़े के साथ विधायक और शहर अध्यक्ष सुधाकर कोहले, विधायकगण सर्वश्री गिरीश व्यास , अनिल सोले, विकास कुंभारे एवं डॉ मिलिंद माने, महापौर प्रवीण दटके , शहर प्रवक्ता चंदन गोस्वामी भी उपस्थित थे।