Published On : Sat, Sep 17th, 2016

रेती घाट निलामी का बहिष्कार करेंगे रेती घाट व्यवसायी

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नागपुर: आज शाम जिले के नामचीन रेती घाट के ठेकेदार सर्वश्री राजेंद्र कांबले, संतोष कांबले, अमित गेडाम, महेश गुप्ता, अब्दुल कादिर, अफजल अन्सारी, दामोधर रोकडे, सुनील भूतानी, विजय पाटील, प्रवीण अग्रवाल, जयेंद्र बरडे, धम्मा चव्हारे, विक्की लुल्ला, विकास सहजरामानी, लक्षमिकांत बावनकुले, पृथ्वीराज बोरकर, प्रभाकर भुरकुंडे, रवी चिखले, हंसराज वंजारी, गौरव जैन, प्रफुल कापसे, शरद राय और रमेश कारेमोरे ने संयुक्त रूप से पत्र-परिषद् लेकर वर्ष २०१६-१७ के लिए जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा २० सितंबर २०१६ को जिले की रेती घाटो की निलामी का बहिष्कार करने की जानकारी दी है.

इन्होंने आगे कहा कि उक्त निलामी ऑनलाइन पद्धति से होने वाली है, रेती घाट निलामी संबंधी नियम-शर्तों को जिला प्रशासन ने सार्वजानिक कर चुकी है. नियम-शर्तो के हिसाब से किसी भी प्रकार की मशीन से रेती उत्खनन नहीं करने दी जाएँगी. वही विदर्भ की भौगोलिक परिस्थिति के मद्देनज़र बिना मशीन के रेती उत्खनन सह वाहनों में लोडिंग संभव नहीं है.

इन्होंने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि पिछले वर्ष रेती घाटो निलामी से २८ करोड़ रूपए प्राप्त हुए,लेकिन जिला प्रशासन ने “ड्रोन” का इस्तेमाल कर मशीनों से रेती उत्खनन करने का कारण दर्शाकर २२ करोड़ (जिला प्रशासन को यह राशि मिल चुकी है) के १३ घाट बंद कर दिए. इनमें साहोली, रामडोंगरी, खापापेठ, टेम्बुरडोह, ढालगाव खैरी, वाकी, पालोरा, माथनी, नेरी, बावनगाव, जुनी कामठी आदि का समावेश है. सभी रेती घाटो की “डिपाजिट” सहित “पर्यावरण बैंक गैरेंटी” भी जप्त कर ली गई.

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इन्होंने जानकारी दी कि विदर्भ का तापमान ४५ से ४८ डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है, ऐसे में रेती उत्खनन मजदूरों के हाथों संभव नहीं होता है, साथ ही रेती उत्खनन के लिए सुलभ मजदूरी पर मजदूरों की काफी किल्लत है. इसलिए मशीनों के सहारे रेती उत्खनन की अंतिम पर्याय है.

इन्होंने जिलाधिकारी पर आरोप लगाया कि “ड्रोन” का उपयोग कर खड़ी मशीन से उत्खनन का आरोप मड रेती घाट ही नहीं रद्द किया बल्कि “डिपाजिट राशि सह बैंक गैरेंटी” को भी जप्त किया. इन बंद रेती घाटो से जिला प्रशासन को २२ करोड़ रूपए का राजस्व प्राप्त हुआ था.

उल्लेखनीय यह है कि जिला प्रशासन द्वारा वाकी रेती घाट पर “ड्रोन” से सर्वे ४ अगस्त २०१६ को किया गया और घाट बंद करने की नोटिस २ अगस्त २०१६ को थमाई गई थी, अर्थात पहले से तय कर रखा गया था कि कौन सा घाट शुरू रखना और कौन सा बंद. “ड्रोन” का इस्तेमाल निलाम की गई रेती घाटो पर की गई और जिन घाटो की निलामी नहीं हुई, उन घाटो को रेती चोरी के लिए लावारिश छोड़ जिला प्रशासन ने करोडों के राजस्व का नुकसान किया. आज भी उन रेती घाटो में खुलेआम रेती चोरी का दौर जारी है.

और अंत में रेत घाट के ठेकेदारों ने विदर्भ की भूगौलिक परिस्थिति और तापमान के मद्देनज़र रेती उत्खनन के लिए मशीनों उपयोग करने की अनुमति दी जाये. अगर समय रहते जिला प्रशासन रेती घाट निलामी हेतु तय किये गए नियमावली पर पुनः विचार नहीं किये तो रेती मूल्य आसमान छुएगा, साथ ही निर्माण कार्य महंगा तो होंगा व प्रभावित भी होंगा.

 – राजीव रंजन कुशवाहा

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