Published On : Wed, May 17th, 2017

कांग्रेस के बाग़ी दल की पेशी, 17 में से 16 हुए उपस्थित

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नागपुर:
 शहर कांग्रेस ने मचा घमासान अब जारी है। बुधवार को पार्टी से बग़ावत कर अपना अलग़ गुट बनाने वाले नगरसेवकों की विभागीय आयुक्त के प्रतिनिधि के समक्ष पेशी हुई। मनपा के स्थायी समिति सभागृह में हुई इस पेशी के दौरान 16 नगरसेवक उपस्थित हुए जबकि एक नगरसेवक रमेश पुणेकर साक्ष्य देने के समय नदारद रहे। कांग्रेस के बाग़ी नगरसेवकों ने तन्हाजी वनवे के नेतृत्व में अपना नया गुट बनाया है। मंगलवार को इन नगरसेवकों के समर्थन का पत्र ख़ुद तन्हाजी ने विभागीय आयुक्त अनूप कुमार को सौपा था। जिसके बाद विभागीय आयुक्त ने इस दावे की जाँच के लिए सभी नगरसेवकों को तलब किया था। साक्ष्य देने के समय दिनेश यादव,नेहा राकेश निकोसे, पारसराव मानवटकर भी मौजूद थे। इन तीनों की उपस्थिति ने मनपा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस दल के नेता संजय महाकालकर के उस दावे को खारिज़ कर दिया जिसमें उन्होंने इस तीनों के साथ समर्थन पत्र में रमेश पुणेकर के फ़र्ज़ी दस्तावेज़ का आरोप लगाया था। महाकालकर ने बुधवार को ही इस संबंध में जाली दस्तावेजों की जाँच के लिये निवेदन पत्र विभागीय आयुक्त दिया था इसी निवेदन के बाद दोपहर करीब साढ़े तीन बजे निगम सचिव हरीश दुबे और विभागीय आयुक्त के प्रतिनिधि शंभरकर के समक्ष साक्ष्य लिया गया। इस पूरी प्रक्रिया की विडिओ रेकॉर्डिंग भी की गयी। साक्ष्य देने के लिए प्रफुल्ल गुड़धे पाटिल, संदीप सहारे, जुल्फेकार अली भुट्टो, कमलेश चौधरी, हर्षला साबले, गार्गी प्रशांत चोपड़ा, पुरषोत्तम हजारे, ऋषिकेश ( बंटी ) शेलके,मनोज गावंडे,परसराम मानवटकर, आशा उइके, दिनेश यादव,प्रणिता शहाणे,नेहा निकोसे,सैय्यदा बेग़म अंसारी पहुँचे।

पार्टी में मचे घमासान के बीच अचानकर सक्रिय हुए सतीश चतुर्वेदी
कांग्रेस में मचे आतंरिक गतिरोध की वजह से पार्टी द्वारा मनोनीत सदस्य का नाम बुधवार को भी सामने नहीं आ पाया। आज सुबह से ही लगातार घटनक्रम होते रहे। पार्टी नगरसेवकों की फ़ूट में पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चतुर्वेदी के भी अचानक सक्रिय होने की जानकारी सामने आयी। ख़बर है की चतुर्वेदी ने दिनेश यादव, नेहा राकेश निकोसे, पारसराव मानवटकर को सुबह ही अपने घर बुला लिया था ये तीनों सुबह से मनपा में साक्ष्य देने के लिए उपस्थित होने तक उनके साथ ही रहे। सतीश चतुर्वेदी पूर्व सांसद विलास मुत्तेमवार के विरोधी माने जाते है माना जा रहा है की मुत्तेमवार गुट को कमज़ोर बनाने के लिए ही उन्होंने अंतिम समय में अपनी सक्रियता बढ़ा दी।

नेता प्रतिपक्ष का दावा उनके पास अधिक संख्याबल
साफ़ है की कांग्रेस के भीतर ही पड़ी फ़ूट की वज़ह शहराध्यक्ष विकास ठाकरे को मनपा में मनोनीत सदस्य न बनकर आने देने के लिए पड़ी है। हालांकि ख़ुद ठाकरे ने कुछ पत्रकारों से फ़ोन पर बात कर अपनी दावेदारी को ख़ारिज किया है वही नेता प्रतिपक्ष संजय महाकालकर ने विकास ठाकरे की उम्मीदवारी के संकेत दिए लेकिन इसकी औपचारिक पुष्टि नहीं की। बहरहाल महाकालकर ने गुरुवार तक उनके पास 17 नगरसेवकों के संख्याबल हो जाने का दावा किया है।

कांग्रेस के भीतरी घमसान से खड़ी हुई तकनिकी समस्या
कांग्रेस पार्टी दल में पड़ी फ़ूट की वजह से तकनीकि समस्या भी खड़ी हो गयी है। हालांकि जिन नगरसेवकों ने अपना नया दल बनाया है उन्होंने अपने गुट को मान्यता देने की अपील विभागीय आयुक्त से की है। ऐसे में विभागीय आयुक्त का फ़ैसला काफ़ी अहम रहने वाला है। सदन में कांग्रेस के मौजूदा स्थिति में 29 नगरसेवक है जिसमें से 16 बग़ावत कर चुके है। सदन के भीतर दो धड़ों में विभाजित हो चुकी पार्टी के बगावती दल के साथ ज़्यादा नगरसेवक है। फ़िलहाल नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस पार्टी द्वारा नियुक्त संजय महाकालकर के पास पर अगर बग़ावत करने वाले दल को मान्यता मिल जाती है तो सँख्या बल के हिसाब से वो ज़्यादा मज़बूत हो जाएंगे। ऐसे में सवाल खड़ा होता है की नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा किसके पास होगा। जानकारों की माने को मनपा सदन की चुनावी प्रक्रिया के पर्यवेक्षक विभागीय आयुक्त के पास किसी गुट को मान्यता देने का तो अधिकार है लेकिन सदन में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति का अधिकार नहीं।

घमासान के बीच भी मनोनीत सदस्य का हो सकता है चयन
मनपा के मनोनीत सदस्यों के नामांकन का गुरुवार को अंतिम दिन हैं अगर नेता प्रतिपक्ष उनके पास ज्यादा नगरसेवक दावा करते है की उनके दल को भी साक्ष्य देने के लिए उपस्थित किया जा सकता है। ऐसी सूरत में कही ऐसा न हो की अंतिम समय तक कांग्रेस अपने मनोनीत सदस्य का नाम ही न दे पाये ऐसी भी संभावना व्यक्त की जा रही है। हालांकि मनोनीत सदस्य के चयन का अधिकार पार्टी के पास ही है। एनएमसी की संसदीय प्रक्रिया को समझने वाले एक जानकर के अनुसार पार्टी स्थायी है जबकि उसके भीतर कई गुट हो सकते है विभागीय आयुक्त इस पर लीगल ओपेनियन ले सकते है लेकिन मनोनीत सदस्य का चयन पार्टी की सिफारिश से ही होगा। मनपा के इतिहास में मनोनीत सदस्य के चयन को लेकर हो रही उठापटक का यह पहला मौका है।