Published On : Fri, May 19th, 2017

तानाजी वनवे मनपा में कांग्रेस दल के नेता

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  • विभागीय आयुक्त के फ़ैसले के बाद 16 मई से नियुक्ति
  • फ़ैसले से रोचक हुयी पार्टी के हिस्से में आयी 1 मनोनीत सदस्य के चयन की प्रक्रिया


नागपुर:
 मनपा में कांग्रेस दल के नेता पद को लेकर मची रस्साकसी का शुक्रवार को अंत हुआ। विभागीय आयुक्त ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए वनवे को नया नेता नियुक्त किया और इस संबंध में निगम सचिव को आदेश भी जारी किया। यह फ़ैसला भले शुक्रवार को लिया गया लेकिन बतौर दल नेता का अधिकार तानाजी वनवे के पास 16 मई 2017 से ही रहेगा। 16 मई को ही कांग्रेस के 17 नगरसेवकों ने नेता प्रतिपक्ष और दल नेता से बगावत कर पार्टी नगरसेवकों की बैठक बुलाई थी। महिला नगरसेविका हर्षला साबले की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में तानाजी वनवे को दल का नेता चुना गया। जिसके बाद बहुमत का आधार बताते हुए वनवे ने उन्हें कांग्रेस दल का नेता नियुक्त किये जाने की अपील विभागीय आयुक्त से की थी। इस अपील पर फैसला लेते हुए विभागीय आयुक्त ने 4 -3 -2017 को संजय महाकालकर को नेता नियुक्त किये जाने के फ़ैसले को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।

इस फ़ैसले के जारी हो जाने के बाद संजय महाकालकर का वह दावा ख़ारिज हो गया जिसमें उन्होंने उनकी नियुक्ति को पार्टी द्वारा आधिकारिक नियुक्ति करार दिया था। महानगर पालिका की कार्यवाही के लिए अमल में लाये जाने वाले महाराष्ट्र म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट और महाराष्ट्र लोकल मेंबर डिसक्वॉलिफिकेशन एक्ट 1987 के मुताबिक सदन के भीतर अपना दल बनाने और उसका नेता चुनने का अधिकार चुने हुए प्रतिनिधि को होता है। पार्टी के चुने हुए प्रतिनिधियों ने संख्या बल के आधार पर 16 मई के दिन नेता चुन लिया था इसलिए दिन से नए नेता को मान्यता दी गयी।

पार्टी नेता पद को लेकर कांग्रेस में मचे बवाल हे बाद भले ही नेता का चयन हो चुका हो लेकिन अब पार्टी के कोटे से मनोनीत होने वाले नगरसेवक का चुनाव दिलचस्प हो गया है। पार्टी के हिस्से में आये एक सदस्य के नामांकन में दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। गुरुवार को नामांकन प्रक्रिया के दिन पार्टी के दोनों दलों ने अपना – अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा था। पार्टी की तरफ से किशोर जिचकार और पूर्व महापौर विकास ठाकरे दोनों ही उम्मीदवार है। लेकिन ख़ास यह है की मनोनीत सदस्य के चयन का अधिकार पार्टी के पास न होकर चुने हुए प्रतिनिधियों के पास होता है। प्रतिनिधि सर्वसमत्ति से चुनाव करते है जबकि दल का नेता चुने हुए नाम का अनुमोदन करता है और सदन बहुमत से चयन करता है । आज के विभागीय आयुक्त के फ़ैसले के बाद 1 मनोनीत सदस्य के चयन प्रक्रिया की तस्वीर अचानक बदल गयी है।

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अब देखना दिलचस्प होगा की कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों से मनोनीत सदस्य के रूप में किसका चयन होता है। वैसे विभागीय आयुक्त के फ़ैसले के बाद तानाजी वनवे का पलड़ा भारी जरूर हो पर चयन की प्रक्रिया का पूर्णतः अधिकार सदन के पास ही है।




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