Published On : Fri, Jul 19th, 2019

कांग्रेसी विधायक के बैनर से पंजा गायब

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क्या 22 जुलाई से पहले होगा कोई बड़ा एलान?

गोंदिया: राजनीति में ना तो कोई किसी का लंबे वक्त तक दोस्त होता है और ना ही दुश्मन ? वक्त और हालात को देखते हुए राजनेता अक्सर करवट बदलते हैं ।

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विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए गोंदिया के कांग्रेसी विधायक विगत 10 दिनों से गांव से लेकर शहर तक जगह-जगह भूमि पूजन कर रहे हैं , लेकिन इन सबों में रविवार 14 जुलाई को गोंदिया तहसील के गिरोला मैं 12 लाख रुपए की निधि से बने नए ग्राम पंचायत भवन के लोकार्पण कार्यक्रम का पोस्टर सोशल मीडिया पर खासी सुर्खियां बटोर रहा है क्योंकि कांग्रेसी विधायक के बैनर से पंजा चुनाव चिन्ह गायब हो चुका है ? अब इसके क्या मायने निकाले जाएं ? क्या कांग्रेसी विधायक भाजपा में प्रवेश करने वाले हैं ? या फिर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गोंदिया को कांग्रेस मुक्त करने के लिए विधायक अग्रवाल को ही उम्मीदवारी देने का फैसला कर लिया है ? 22 जुलाई से पहले गोंदिया की राजनीति में कोई बड़ा धमाका हो सकता है ऐसे जन चर्चाओं ने भी अब जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भी उछला था नाम।

16 जून को मंत्रिमंडल विस्तार से पहले गोंदिया में यह हलचल तेज थी कि राधाकृष्ण विखे पाटील के साथ कांग्रेस के 10 विधायक पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं तथा पुरस्कार के तौर पर कुछ को मंत्री भी बनाया जा सकता है ? उस सूची में गोंदिया के कांग्रेसी विधायक गोपालदास अग्रवाल का नाम भी उछाला गया , अंदर खाने से जो खबरें छन- छन कर बाहर आ रही थी उसके मुताबिक विधायक महोदय मंत्री पद के साथ -साथ आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गोंदिया सीट से उम्मीदवारी भी चाहते थे और बीजेपी की टिकट उन्हें ही दी जाएगी इस बात का पक्का आश्वासन भी ?

जब बीजेपी आलाकमान से मुंबई में चल रही गुपचुप वार्तालाप की खबर गोंदिया विधानसभा के बीजेपी संभावित उम्मीदवारों को लगी तो वे आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हो गए और उन्होंने कांग्रेसी विधायक के भाजपा प्रवेश का विरोध करते हुए स्थानीय पवार बोर्डिंग में एक सभा ले ली , आयोजित बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अगर कांग्रेसी विधायक का बीजेपी प्रवेश कराया जाता है तो जिला कार्यकारिणी के कई महत्वपूर्ण नेता अपने -अपने पदों से सामूहिक इस्तीफा दे देंगे तथा अपने इस निर्णय से गोंदिया के भाजपा नेताओं ने पार्टी आलाकमान को भी अवगत करा दिया था लिहाजा सामूहिक इस्तीफे की धमकी काम कर गई । इस पर अंगूर खट्टे हैं वाली कहावत चरितार्थ हुई और इस एपिसोड के बाद विधायक महोदय की कार्यालय से यह बयान बाहर आया कि कुछ भाजपाइयों द्वारा उन्हें बदनाम करने के लिए उनका नाम उछाला गया वे कांग्रेस के सिपाही हैं और कांग्रेस में ही रहेंगे?

प्रफुल्ल पटेल और नाना पटोले ने इसका तोड़ भी खोज रखा है अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरह पार्टियों में आयाराम – गयाराम की स्थिति बन रही है तथा कांग्रेस व राष्ट्रवादी नेताओं का सत्तापक्ष भाजपा की ओर आकर्षण दिखाई दे रहा उससे तो गोंदिया में यही दिखाई पड़ता है भाजपा का टिकट याने जीत की गारंटी और चुनाव जीते तो वरिष्ठता के आधार पर मंत्री पद की कुर्सी पक्की ?

तो अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि फिर कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार कौन होगा तो उसकी तैयारी भी प्रफुल्ल पटेल खेमे ने कर ली है अगर यही दृश्य रहता है तो गोंदिया विधानसभा सीट से नाना पटोले चुनाव लड़ सकते हैं ? यह भी जनचर्चा बनी हुई है।

किसी शायर ने भी क्या खूब कहा है – इश्क दा ए इश्क में… रोता है क्या , बस आगे आगे देखिए …होता है क्या ?

– रवि आर्य

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