Published On : Tue, Aug 2nd, 2016

अलग राज्य के मुद्दे पर कांग्रेस में दो फाड़, विदर्भवादी कांग्रेसी नेताओ ने संयुक्त महाराष्ट्र के प्रस्ताव का किया विरोध

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Satish Chaturvedi, Vilas Muttemwar and nitin Raut
नागपुर:
अलग विदर्भ राज्य की मांग को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच कांग्रेस पार्टी में ही इस मुद्दे को लेकर दो फाड़ हो गई है। विधानमंडल में कांग्रेस पार्टी के सदस्यो द्वारा संयुक्त महाराष्ट्र का प्रस्ताव लाने के फैसले का विदर्भ के कांग्रेसियो ने विरोध किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तेमवार ने अलग विदर्भ की मांग का विरोध करने वाले विधानसभा में पार्टी के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौव्हान, नारायण राणे के खिलाफ जमकर हमला बोला। मुत्तेमवार के मुताबिक विदर्भ का विरोध पार्टी की लाइन नहीं है। वह खुद पार्टी नेताओं के रुख से आश्चर्यचकित है। हमारी लड़ाई आरएसएस, बीजेपी और मोदी से है। मौका जनता के सवालो को उठाने का है। पर इन मसलो को छोड़ पार्टी लाइन से अलग होकर अपने निजी फायदे के लिए विदर्भ का विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी अलग विदर्भ राज्य की पक्षधर है। विदर्भ से इतर अन्य राज्य के नेता वो भले की कांग्रेस पार्टी के ही क्यूँ न हो उंन्हें विदर्भ पर बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। विदर्भ के नेताओं को हाई कमान ने भरोसा दिया है कि विदर्भ बनाया जायेगा। पर सत्ता की लालच में कांग्रेस के नेता राष्ट्रवादी और शिवसेना से हांथ मिला रहे है। विदर्भ विरोधी बयान देने वाले अपनी ही पार्टी के अन्य नेताओं पर प्रहार करते हुए मुत्तेमवार ने कहा कि पृथ्वीराज चौव्हान की वजह से पार्टी का हाल बुरा हो गया। नारायण राणे और राधाकृष्ण विखे पाटिल तो शिवसेना से कांग्रेस में आये अब उसी की भाषा बोल रहे है।

मुख्यमंत्री के बयान से हुई निराशा – विलास मुत्तेमवार
विदर्भ के समर्थक कांग्रेसी नेताओं ने विधानभवन में संयुक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होने और विदर्भ के संबंध में किसी भी तरह का प्रस्ताव न होने के बयान पर निराशा जताई है। विलास मुत्तेमवार के मुताबिक देवेंद्र फडनवीस विदर्भ राज्य की लड़ाई साथ लड़ी है। उनके मुख्यमंत्री बनने और प्रधानमंत्री से उनके रिश्ते की वजह से उन्हें उम्मीद थी कि देवेंद्र का कुशल नेतृव विदर्भ राज्य देगा। पर उन्होंने निराश किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जनता के सामने अपनी जबान को मर्द कहते हुए विदर्भ राज्य देने का वादा किया। इसी वादे के दम पर भाजपा को बहुमत हासिल हुआ। अब विदर्भ की जनता का भरोसा इन दोनों से टूटता दिखाई दे रहा है।

हाईकमान से करेगे शिकायत
विदर्भवादी कांग्रेसी नेताओं के मुताबिक पार्टी नेता पार्टी लाइन के खिलाफ काम कर रहे है। कांग्रेस ने कभी विदर्भ का विरोध नहीं किया इसलिए जल्द ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर विदर्भ के समर्थक नेता अपनी बात रखेगे। अगर विदर्भ का विरोध नही थमा तो कांग्रेस को हमेशा राज्य के सत्ता की चाबी सौपने वाला विदर्भ पार्टी से किनारा कर लेगा यह भी समझाया जायेगा।

विदर्भ राज्य की मांग नहीं, विदर्भ खुद राज्य है – डॉ. नितिन राउत
विदर्भ के समर्थक पूर्व मंत्री नितिन राउत ने संयुक्त महाराष्ट्र का प्रस्ताव लेने के कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा की विदर्भ कभी महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं रहा। करार की वजह से महाराष्ट्र में शामिल हुआ। 1920 में स्वतंत्रता का आंदोलन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने विदर्भ की धरती से ही दिया। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने विदर्भ का समर्थन किया था। कांग्रेस ने हमेशा अलग विदर्भ राज्य का समर्थन किया। पृथ्वीराज चौव्हान की भूमिका पार्टी की भूमिका नहीं है। विदर्भ के नेताओं का विदर्भ राज्य का विरोध करने वालो से कोई संबंध नहीं है।

बहुत हो चुकी चर्चा अब राज्य ही समाधान – डॉ. सतीश चतुर्वेदी
राज्य में पूर्व मंत्री रहे डॉ. सतीश चतुर्वेदी विदर्भ के समर्थक है। उनके मुताबिक अब राज्य के निर्माण के लिए किसी चर्चा की जरुरत नहीं है। विदर्भ राज्य पर काफी बहस हो चुकी है। विधानमंडल की कार्यवाही में खुद उन्होंने अलग राज्य का प्रस्ताव लाया था और उस पर बहस हुई। अब सिर्फ अलग राज्य ही अंतिम रास्ता है। पार्टी हाईकमान ने कभी विदर्भ का विरोध नहीं किया।