Published On : Wed, May 6th, 2015

अकोला : सोयाबीन बीज के दामों को लेकर किसानों में संभ्रम

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Representational Pic

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अकोला। सोयाबीन नगद फसल के रूप में किसानों में प्रचलित है. अन्य फसलों की तुलना में अधिकतर किसान इस फसल को ही अधिक महत्व देते है. प्रतिवर्ष खरीफ तथा रब्बी के मौसम में सोयाबीन के बीजों में काफी अंतर होने के कारण किसानों में संभ्रम की स्थिति दिखाई दे रही है.सोयाबीन के बीजों में हर कंपनी के दाम अलग-अलग होने के कारण सरकार का इन कंपनियों पर नियंत्रण न होने की बात उजागर हो रही है. बीजों की उत्पादन को लेकर संदेह की स्थिति होने के बावजूद कंपनियों के दाम तय नहीं होते है.

इस वर्ष खरीफ फसल के मौसम में सोयाबीन की फसल की बुआई अधिक होने की मंशा कृषि विभाग की ओर से व्यक्त की जा रही है. जिसके लिइ कृषि विभाग की ओर से नियोजन भी किया गया है. इस वर्ष 2   लाख 35 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बुआई होने का अनुमान लगाया गया है. जिससे सोयाबीन के बीजों की मांग अधिक हो रही है. कृषि विभाग की ओर से इस वर्ष 89 हजार 887 क्विंटल बीज उपलब्ध करवा रहा है. जबकि महाबीज अकोला की ओर से महाराष्ट्र के लिए 4 लाख क्विंटल बीज उपलब्ध करवा रहा है. महाबीज के सोयाबीन के बीज के दाम कम होने के साथ उसकी उत्पादन क्षमता को लेकर  किसान आश्वस्त है. जबकि अन्य कंपनियों के सोयाबीन बीज को लेकर किसानों में ऊपापोह की स्थिति बनी हुई है.

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विगत वर्ष अन्य कंपनियों के सोयाबीन बीज को लेकर बुआई करने वाले किसानों को काफी कटु अनुभव का सामना करना पडा है. खेतों में बीजों की गुणवत्ता काफी खराब होने के कारण किसानों को तीन बार बुआई करने की नौबत आन पडी थी. जिससे किसानों में काफी निराशा आ गई थी. इस वर्ष भी दि यही स्थिति रही तो किसान सोयाबीन की फसल बुआई करने में विचार कर सकता है. मौसम में हो रहे परिवर्तन तथा प्राकृतिक विपत्तियों के चलते किसानों की आर्थिक रूप से कमर पहले ही टूट चुकी है यदि इस वर्ष भी किसान कर्ज लेकर किसी तरह की बुआई कर देते है तथा उन्हें दोबारा बुआई करने की नौबत आ जाती है तो सोयाबीन की बुआई का क्षेत्र इस वर्ष घट सकता है. ऐसा अनुमान कृषि विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त किया जा रहा है.

बीजों की किल्लत नहीं होने दी जायेगी : ममदे
जिला कृषि अधिकारी हनुमंतराव ममदे ने बताया कि इस वर्ष सोयाबीन की बुआई का क्षेत्र बढ गया है. जिससे सोयाबीन के बीज की कमी न हो पाए इसके लिए उपाययोजना किया गया है. महाबीज की ओर से  इस वर्ष 4 लाख क्विंटल बीज की व्यवस्था की गई है. सोयाबीन के बीज की आवक हो रही है. जिससे बीज की कमी नहीं होने दी जायेगी. लेकिन किसान घर में बीज की प्रक्रिया कर उसका इस्तेमाल करने पर  धिक ध्यान दे जिससे अधिक उपज मिल सके किंतु उक्त बीज की निर्माण क्षमता भी जांच लेने की जरूरत है.

कपास के दाम होते हैं तय
कपास के बीटी, नान बीटी बीजों के दामों में स्थिरता दिखाई दे रही है. बीटी बीज के 450 ग्राम के बैग के लिए 930 रूपए लिए जा रहे है. जिसमें अंकुर, अजित, महिको, कृषिधन जैसे कंपनियों के बीजों का  समावेश है.

बीटी कपास के बीज की तरह हो नियंत्रण
विशेषज्ञों के अनुसार बीटी कपास के बीजों के मूल्य निर्धारण के लिए कानून है. जिससे अन्य बीजों के दमों का निर्धारण के लिए कानून की आवश्यक है. बाजार में मिलने वाले बीजों के दामों 50 से 100 लेकर  अंतर की बजाए 1 हजार रूपए तक का अंतर देखा जा रहा है. कंपनी के दाम अधिक होने के कारण अन्य बीज कहीं दुय्यम तो नहीं है ऐसी अनेक शंकाओं में किसान उलझा हुआ दिखाई देता है.

सोयाबीन बीज के दाम
उपत्पादन कंपनी दाम 30 किलो
महाबीज 1875
अंकुर 2430
ईगल 2310
कृषिधन 1240
ओसवाल सिड्स 2100

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