नागपुर: एसटी बसों की पहचान उनके खाकी वर्दी में तैनात कंडक्टर के साथ होती है। लेकिन अब एसटी बसें कंडक्टर लेस यानी बिना कंडक्टर के हो चली हैं।
बीते दो माह से नॉन स्टॉप अर्थात बीच में रुके बिना गंतव्य तक का सफ़र करनेवाली एसटी बसों को कंडक्टर विहीन कर दिया गया है। इस नई व्यवस्था के तहत बस में यात्रियों के बैठते ही कंडक्टर टिकट काटते हैं। कुल यात्रियों की संख्या के हिसाब की पर्ची बस चालक को देते हैं। पर्ची लेकर बस चालक यात्रा शुरू करता है। इस प्रयोग ने बिना टिकट यात्रा करनेवाले यात्रियों की संख्या लगभग नगण्य कर दी है। यही नहीं कुछ कंडक्टर और ड्राइवरों की मिली भगत से चलनेवाले बिना टिकट यात्रियों से होनेवाली ऊपर की कमाई पर भी नकेल कसने लगी है।
यह प्रयोग सबसे पहले अकोला और यवतमाल के बीच नॉन स्टॉप यात्रा की बसों में शुरू किया गया। देखते ही देखते इसे दूसरी नॉन स्टॉप बसों में भी आजमाया गया। अब भंडारा, चंद्रपुर, गढ़चिरोली अमरावती के बीच चलनेवाली बसों में भी कंडक्टर विहीन व्यवस्था लागू की गई है। शहर के गणेशपेठ बस अड्डे के स्टेशन मैनेजर अनिल आमनेरकर ने बताया कि कंडक्टर विहीन प्रयोग की नई व्यवस्था सफल होते दिखाई दे रही है। जल्दी यह व्यवस्था सभी नॉन स्टॉप बसों में शुरू कर दी जाएगी।
हालाँकि महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के नागपुर विभाग में हो रहे कंडक्टर विहीन बसों के प्रयोग से यहाँ कार्यरत कई कंडक्टरों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं, क्योंकि विगत कई वर्षों से एसटी बसों में कंडक्टरों की भर्ती बंद है और इस समय कार्यरत ज्यादा कंडक्टर अनुबंध यानी कॉन्ट्रैक्ट स्वरुप में काम कर रहे हैं। इन कंडक्टरों के रोजगार के विषय में एसटी प्रशासन मौन है।









