नागपुर: शहर के मानेवाड़ा निवासी प्रभाकर नवखरे ने शहर की बिजली वितरण फ्रैंचाइज़ी कम्पनी एसएनडीएल से एक्यूचेक मीटर का टेस्टिंग सर्टिफिकेट मांगा था. पीड़ित ने एसएनडीएल को आरटीआई के तहत भी इसकी जानकारी मांगी थी. लेकिन कंपनी ने जवाब दिया था कि निजी कंपनी होने के कारण वे आरटीई के तहत जानकारी नहीं दे सकते. इसके लिए नवखरे ने राज्य सूचना आयुक्त से शिकायत भी की थी. जिसके आधार पर राज्य सूचना आयुक्त ने एसएनडीएल कंपनी को आदेश दिया था कि वे पीड़ित को रिपोर्ट मुहैया कराए. लेकिन जो एक्यूचेक मीटर कैलिब्रेशन सर्टिफिकेट एसएनडीएल कंपनी द्वारा प्रभाकर नवखरे को दिया गया है वह हांगकांग का है. उस पर न तो मीटर नम्बर है और ना ही महावितरण या फिर एसएनडीएल का नाम ही दर्ज है.
नवखरे ने जब यह सर्टिफिकेट देखा तो उन्हें इसके फर्जी होने का शक हुआ. जिसके बाद वे इसकी शिकायत लेकर हुडकेश्वर पुलिस स्टेशन में पहुंचे. जहां पर पुलिस द्वारा नवखरे का पूरा बयान लिया गया. लेकिन इनकी एफआईआर नहीं ली गई. जिसके कारण पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर भी प्रश्नचिन्ह निर्माण होता है. नियमानुसार पुलिस स्टेशन में शिकायतकर्ता की एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. लेकिन इस मामले में हुडकेश्वर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस बारे में पीड़ित नवखरे का कहना है कि पुलिस ने मामले की पहले जांच कर उसके बाद इसकी एफआईआर दर्ज की बात कही. लेकिन यह जांच कहां तक पहुंची इसके बारे में हुडकेश्वर पुलिस की ओर से कोई जानकारी अब तक नहीं दी गई है.
पीड़ित नवखरे ने इसकी लिखित शिकायत पुलिस आयुक्त को भी दी है. इस पूरे मामले में हुड़केश्वर पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक सुनील झावरे से बात की गई तो उन्होंने काफी टालमटोल जवाब दिया, पहले तो उन्होंने कहा की किसी भी फ्रॉड के मामले की पहले जांच की जाती है और उसके बाद एफआईआर दर्ज की जाती है. इसके बाद उन्होंने बताया की इस मामले में क्या हुआ है. पहले इसके बारे में जानकारी लेता हूँ, उसके बाद ही सही जानकारी दे पाऊंगा.