कलेक्टर व सांसद को निवेदन
अमरावती। केंद्र सरकार द्वारा सोनोग्राफी परीक्षण के दौरान सभी डाक्टर्स पर एफ फार्म भरने की शर्त लगाई गई है, लेकिन यह कानून डाक्टरों को परेशान करने वाला होने के साथ ही मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है. ऐसे में इस कानून में परिवर्तन करने की मांग को लेकर बुधवार को जिले के सभी महिला डाक्टरों ने बंद रखा. इस बंद के दौरान सोनोग्राफी मशीन धारक अस्पतालों में मशिने बंद होने व डाक्टरों के हड़ताल पर होने से हजारों मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
एफ फार्म अनावश्यक
इस हड़ताल के दौरान डाक्टरों की एक टीम ने जिलाधिकारी किरण गित्ते, सांसद आनंदराव अडसूल, पालकमंत्री प्रवीण पोटे, विधायक सुनील देशमुख आदि को अपनी मांगों के संदर्भ में निवेदन दिया. डा. वैजयंती पाठक के नेतृत्व में दिये गये इस निवेदन में बताया गया है कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी करते समय हर बार एफ फार्म भरना पड़ता है. लेकिन इस फार्म में कई अनावश्यक कालम भी है. एक फार्म भरने में करीबन 20 मीनट का समय लगता है.
मरीजों को हो रही दिक्कत
- इस फार्म को 24 घंटे के भीतर ऑनलाइन भेजना भी बंधनकाराक है. उस पर भी मामूली गलती रह जाने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है. ऐसे में डाक्टर्स का काफी समय इन फार्मस को भरने में चला जाता है.
- जिससे मरीजों को उचित सेवा नहीं मिल पाती. कानून की सख्ती के चलते कई डाक्टर्स सोनोग्राफी करने से ही हिचकिचाते है. जिससे गर्भवती की पर्याप्त जांच नहीं हो पाती.
- डाक्टर्स ने मांग की है कि पीसीपीएनडीटी कानून में शिथिलता लाई जाये. ताकि गर्भवती मरिजों को समय पर और उचित सेवा दी जा सके. डाक्टरों का यह भी कहना है कि इसी एक्ट के चलते सोनोग्राफी की झंझट से बचने के लिये डाक्टर्स सोनोग्राफी करने से दूर भाग रहे है.
- जबकि इस कानून के पहले सैकड़ों जरुरतमंदे गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफ डाक्टरों द्वारा नि:शुल्क की जाती थी. ऐसे में इन मरिजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.
- निवेदन देने वालों में प्रसूति विशेषज्ञ संगठन की अध्यक्ष डा. वैजयंत पाठक, सचिव डा. मोनो आडतिया, सहसचिव डा. प्रांजल शर्मा, डा. मिनल देशमुख, डा. मंजुषा बोके, डा. मिनल बावनकर, डा. सुयोगा पानट सहित अनेक डाक्टरों का समावेश था.