Published On : Tue, Nov 12th, 2019

शहर समेत देश के सिख भाइयों ने मनाई गुरुनानक जयंती

नागपुर: गुरु नानक देव ने दुनिया को ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ का संदेश देकर समाज में भाईचारक सांझ को मजबूत किया और एक नए युग की शुरुआत की. सामाजिक कुरीतियों का विरोध करके उन्होंने समाज को नई सोच और दिशा दी. गुरु ने ही समाज में व्याप्त ऊंच-नीच की बुराई को खत्म करने और भाईचारक सांंझ के प्रतीक के रूप में सबसे पहले लंगर की शुरुआत की. भारत समेत पुरे अन्य देशो में भी गुरुनानक जयंती का आयोजन किया गया. शहर में भी अनेको जगहों पर कार्यक्रम किए गए.

उनका जन्म 1469 में श्री ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में हुआ. हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का दिन देश विदेश में उनके प्रकाश पर्व के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है. गुरमति समागम आयोजित कर गुरु जी की बाणी और उनकी शिक्षाओं से संगत को निहाल किया जाता है. गुरु नानक नाम लेवा संगत उन्हें बाबा नानक और नानकशाह फकीर भी कहती है.

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गुरु नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया. उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर लोगों को पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा दी. गुरु जी के जन्मदिवस को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है. श्री ननकाणा साहिब में प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब भी है. इसका निर्णाण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था.

प्रकाशपर्व के दिन जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, अखंड पाठ साहिब के भोग डालेे जाते हैं और लंगर बरताए जाते हैं. प्रकाश पर्व से पहले प्रभातफेरियों निकालकर गुरु जी के आगमन पर्व की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. संगत सतनाम श्री वाहेगुरु और बाणी का जाप करते हुए चलती है. शहरों में भव्य नगर कीर्तन निकाले जाते हैं. सभी जत्थों का जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया जाता है. धार्मिक दीवान सजाए जाते हैं और शब्द कीर्तन किया जाता है. गुरुद्वारों में दिन रात धार्मिक कार्यक्रम जारी रहते हैं. शहर में कई जगहों पर विभिन्न कार्यक्रम किए गए.

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