Published On : Sat, Oct 20th, 2018

मेट्रो रीजन में अनधिकृत निर्माण तोड़ने की कार्रवाई स्थगित

Advertisement

नागपुर: जय जवान जय किसान संगठन द्वारा मेट्रो रीजन में एनएमआरडीए की ओर से अनधिकृत निर्माण कार्य को तोड़ने की कार्रवाई के विरोध में आंदोलन को देखते हुए पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने त्वरित एक बैठक आयोजित कर प्राधिकरण को 31 अक्टूबर तक कार्रवाई स्थगित करने का आदेश दिया है. बैठक में संगठन के अध्यक्ष प्रशांत पवार भी उपस्थित थे. कार्रवाई रद्द करने के निर्देश के साथ ही पालकमंत्री ने 719 गांवों के सभी अनधिकृत निर्माण कार्यों का सर्वेक्षण कर उसका वर्गीकरण करने का आदेश एनएमआरडीए को दिया है.

बैठक में पवार ने बताया कि मेट्रो रीजन में लगभग 2 लाख घर अनधिकृत हैं लेकिन प्राधिकरण ने केवल 1800 घरों को नोटिस जारी किया है. उन्होंने मांग की कि जब तक पूरे 2 लाख घरों का सर्वे नहीं हो जाता तब तक किसी पर कार्रवाई न किया जाए. पालकमंत्री ने उनकी मांग को मानते हुए प्राधिकरण को सर्वे पूर्ण कर वर्गीकरण करने का निर्देश दिया. इससे मेट्रो रीजन के नागरिकों को बड़ी राहत मिली है.

2 नवंबर को कार्यशाला
मेट्रो रीजन में अनधिकृत निर्माण कार्य के नियमितिकरण की योजना को अल्प प्रतिसाद मिला है. योजना को सभी नागरिकों तक पहुंचाने के लिए पालकमंत्री ने 2 नवंबर को सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्यों की कार्यशाला लेने का निर्देश भी दिया. पवार ने कहा कि एनआईटी के अधिकारी अवैध रूप से एनएमआरडीए में कार्य कर रहे हैं क्योंकि अब तक सरकार ने उन्हें किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी है. सरकार पहले आकृतिबंध मंजूर कर नियमानुसार उनकी नियुक्ति एनएमआरडीए में करें. पालकमंत्री ने उन्हें इस संदर्भ में कार्यवाही का आश्वासन दिया.

नियमितिकरण दर होगी कम
संगठन की ओर से मेट्रो रीजन में 2 लाख घरों व 10 लाख भूखंडों के नियमितिकरण की दर कम करने की मांग भी की. पवार ने कहा कि एनआईटी द्वारा 1900 व 572 लेआउट नियमितिकरण के लिए जिस दर पर शुल्क लिया उसी तर्ज पर एनएमआरडीए मेट्रो रीजन में नियमितिकरण शुल्क ले. प्राधिकरण द्वारा मेट्रो रीजन में दर बहुत अधिक लिया जा रहा है.

इस पर पालकमंत्री ने मुख्यमंत्री से इस संदर्भ में चर्चा कर दर कम करने का आश्वासन दिया. बैठक में संगठन के अरुण बनकर, विजय कुमार शिंदे, नगरसेवक दुनेश्वर पेठे, मिलिंद महादेवकर, रवीन्द्र इटकेलवार, अविनाश शेरेकर, रविशंकर मांडवकर उपस्थित थे.