Nagpur: मनपा स्कूलों में में शिक्षा का स्तर साल दर साल गिरता जा रहा,स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घटते जा रही है। स्कूलें बंद होती जा रही है,मनपा शिक्षक बेकाम हो गए। ऐसे में मनपा स्कूलों की सर्वांगीण विकास करने की बजाये मनपा के “खाकी और खादी” निजी स्वार्थपूर्ति हेतु सीसीटीवी लगाकर मनपा स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने की कहानी गढ़ रहे है। इस सीसीटीवी प्रकरण की अविलंब न्यायिक जांच की मांग मनपा आयुक्त से की गई है।
मनपा स्कूलों में वर्षो से विद्यार्थियों की संख्या कम होती जा रही है। वजह साफ़ है कि शहर में उच्च गुणवत्ता से लैस हर साल नई नई स्कूल खुलते जा रही है। इनके टक्कर में मनपा स्कूल का स्तर काफी नीचे है,जिसके कारण खुद मनपा के कर्मी अन्य स्कूलों में अपने बच्चो को शिक्षा दिलवा रहे है।मनपा स्कूल में कम होते विद्यार्थियों के कारण मनपा स्कूलों पर ताला लग रहे है।ऐसे में मनपा में तैनात शिक्षक व कर्मी स्कूली कामो के मामले में बेकाम होते जा रहे है। शिक्षण विभाग वर्त्तमान में अतिरिक्त शिक्षक और कर्मियों से अन्य जरुरत के विभागों का काम करवा रहे है। राज्य सरकार भी निरंतर शिक्षण विभाग को अनुदान देती आ रही है।
उक्त समस्याओं के बावजूद मनपा प्रशासन मनपा स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के बजाय अन्य अफलातून कार्यो में लीन है।
विगत माह शिक्षण विभाग के मार्फ़त मनपा स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के नाम पर चयनित 25 स्कूलों में सीसीटीवी लगाने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय अति जरुरत या महत्वपूर्ण नहीं था,फिर भी सीसीटीवी लगाने हेतु टेंडर न बुलाते हुए “रेट कॉन्ट्रैक्ट” का सहारा लिया गया। “रेट कॉन्ट्रैक्ट” की आड़ में गणेशपेठ की एक कंपनी को 22लाख 28 हज़ार 750 रूपए का ठेका दिया गया। जबकि इतने राशि का काम का टेंडर निकलना चाहिए था। इस ठेकेदार ने 1339711 रूपए का सीसीटीवी 13 स्कूलों में लगाकर मनपा शिक्षण विभाग को बिल सौंप चूका है। बिलो में अंकित कोऑक्सीअल(coaxial cabel) केबल खपत अनाप-सनाप आंकी गई है। बिलो के साथ संलग्न प्रमाणपत्र में अंकित स्टॉक बुक का क्रमांक गायब है।
मनपा आयुक्त से मांग है कि उक्त मामले की सोशल ऑडिट सह संपूर्ण प्रक्रिया की न्यायिक जांच करवाई जाए।
– राजीव रंजन कुशवाहा