Published On : Mon, Dec 24th, 2018

रात में खराब हो जाता है सीसीटीवी का विजन

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नागपुर: स्मार्ट एंड सेफ सिटी प्रोजेक्ट लाने में सीएम देवेंद्र फडणवीस का विजन तो बहुत अच्छा था, लेकिन उनका ये विजन कुछ महीनों में ही धुंधला गया है. रात के समय सीसीटीवी का विजन खराब हो जाता है. करोड़ों रुपये खर्च करके शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट का काम बस ट्राफिक पुलिस चालान बनाने के लिए कर रही है. रात के समय होने वाले स्ट्रीट क्राइम को रोकने या उसके डिटेक्शन में किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है. ऐसे में सीएम सिटी कैसे सेफ रहेगी यह बड़ा सवाल है.

सिटी को सेफ रखने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रकल्प लाया गया. 18 अक्टूबर 2016 को इसका काम जारी किया गया. प्रोजेक्ट का टेंडर एल एंड टी कम्पनी को दिया गया. प्रकल्प के तहत शहर की 700 लोकेशन पर 3893 कैमरे लगाए जाने थे. इनकी लागत 520 करोड़ रुपये है. लगभग इसका काम पूरा हो चुका है. मनपा की इमारत में कमांड कंट्रोल सेंटर से इसका आपरेशन चल रहा है.

केवल दिन में चालान बनाने के लिए उपयोग
रोजाना सीसीटीवी से ट्राफिक नियम तोड़ने वालों की इमेज कैप्चर करके सैकड़ों लोगों के चालान बनाए जा रहे हैं, लेकिन इस प्रोजेक्ट का मकसद केवल चालान और ट्राफिक कंट्रोल नहीं था. आपराधिक वारदातें रोकने और उसकी जांच में मदद के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. दिन के समय इन कैमरों से वाकई में पुलिस विभाग को काफी मदद मिल रही है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में रात के समय हुईं आपराधिक वारदातों ने इस प्रोजेक्ट की कलई खोल दी है. अन्य स्पेसिफिकेशन को एक तरफ रखकर केवल नाइट विजन पर ही गौर किया जाए तो ये कैमरे रात के समय किसी काम के नहीं हैं. टेंडर के तहत शहर के सभी स्थानों पर नाइट विजन कैमरे लगाना अनिवार्य था, लेकिन कैमरों से रात के समय ली गई इमेज क्वालिटी से तो बिलकुल ऐसा नहीं लगता.

न तो चेहरा दिखाई देता है न ही गाड़ी का नंबर
रात के समय कैमरे सफेद हाथी की तरह केवल दिखावे के लिए रह गए हैं. पुलिस विभाग के अधिकारियों का तो यही कहना है. कुछ अधिकारियों ने बताया कि रात के समय होने वाली वारदातें सीसीटीवी कैमरों में कैद तो होती हैं, लेकिन इससे कोई मदद नहीं मिलती. इमेज धुंधली होती है. न तो आरोपी का चेहरा दिखाई देता है और न उनकी गाड़ी का नंबर. ऐसे में सीसीटीवी कैमरों की मदद से आरोपी को पकड़ा नहीं जा सकता. पुलिस केवल उनके अलग-अलग लोकेशन के आधार पर जांच करती है. उस एरिया के क्रिमिनल का रिकार्ड निकालकर आरोपियों को पकड़ा जाता है. रात के समय सीसीटीवी कैमरों से कोई मदद नहीं मिलती. यदि ऐसा है तो प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला किया गया है. यदि कैमरे नाइट विजन वाले नहीं हैं तो इनका उपयोग केवल दिन में चालान बनाने के लिए रह जाएगा.

‘आप’ के लीडर पहले ही लगा चुके घोटाले का आरोप
स्मार्ट सिटी सीसीटीवी कैमरा प्रोजेक्ट पर आम आदमी पार्टी के लीडर पहले ही घोटाले का आरोप लगा चुके हैं. इसी वर्ष नागपुर दौरे पर आए आप के नेता बिग्रेडियर सुधीर सावंत के अनुसार दिल्ली में लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरों की तुलना में नागपुर और मुंबई में जारी किए गए टेंडर 16 गुना ज्यादा राशि के हैं.

दिल्ली में 272 करोड़ रुपये की लागत से 1.4 लाख कैमरे लगाए जा रहे हैं, जबकि नागपुर में 572 करोड़ रुपये में केवल 3893 स्थानों पर कैमरे लगाए गए. दिल्ली में लगाए गए कैमरे की कीमत 3900 रुपये है, जिसमें 4 मेगा पिक्सल क्वालिटी, 64 जीबी डाटा कार्ड और नाइट विजन होना अनिवार्य है. अब यदि शहर में लगाए गए कैमरे नाइट विजन नहीं हैं तो क्या सावंत के आरोपों को सही माना जा सकता है.