अचलपुर : वि. बच्चु कडु व कांग्रेस के बब्लू देशमुख पर आचार संहिता भंग करने पर मामला दर्ज
शिवसेना की सुरेखा भी पिछे नहीं चुनाव आयोग की गुन्हेगार बनी
अनुमती से अधिक संख्या में झंडे, वाहन इस्तेमाल
अचलपुर (अमरावती)। अचलपुर विधानसभा चुनावी मैदान में सभी उम्मीदवारों ने अपने सभी पैतरे आजमाना शुरू कर दिया है. नामांकन दाखिल करने के लिए शक्तिप्रदर्शन किया गया. अपने उम्मीदवार के पक्ष में समर्थकों ने नारे बाजी, झंडे व डीजे आदि का प्रयोग किया जाना, अनुमति से अधिक वाहनो की संख्या दर्शाना आदि से आचार संहिता भंग करने पर मामला दर्ज किया जा चूका है. आचार संहिता भंग करने वालों में रिपाई के प्रताप अभ्यंकर, अपक्ष अरूण वानखड़े, अचलपुर के विधायक बच्चू कडु, शिवसेना की प्रत्याशी सुरेखा ठाकरे व कांग्रेस के बब्लू देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. आचार संहिता भंग करनेवालों में प्रहार संघटना के उम्मीदावार विधायक निर्वाचन क्षेत्र के मैदान में उम्मीदवारी नामांकन दाखिल करने के लिए विधायक बच्चु कडु उर्फ़ ओमप्रकाश बाबारावजी कडु की भव्य रैली गांधी पुल से निकाली गई थी. इस रैली में हजारों की संख्या में समर्थक शामिल थे. आम आदमी का विधायक से चर्चित बच्चु कडु की रैली में पुलिस द्वारा दी गई अनुमती से अधिक झंडे लगाने, अधिक संख्या में वाहन का प्रयोग किया गया. अचलपुर पुलिस ने मुंबई पुलिस एक्ट 135, भादंवि 188 मोटर वाहन एक्ट के अनुसार आचार संहिता भंग करने पर मामला दर्ज किया है. इसकी शिकायत फैरारी पथक के प्रमुख गणेश पांडुरंग भाल, चांदुर बाजार निवासी ने अचलपुर पुलिस थाने में दर्ज की है. इसकी जांच थानेदार चक्षुपाल बहादुरे कर रहे है.
इससे पहले रिपाई के प्रताप अभ्यंकर, अचलपुर नप के पूर्व नगर अध्यक्ष वानखड़े के खिलाफ मामला दर्ज किया जा चूका है. वही परतवाडा पुलिस थाने में कांग्रेस के अनिरुद्ध बब्लू देशमुख के खिलाफ आचार संहिता भंग करने का मामला दर्ज किया जा चूका है. वहीँ आचार संहिता भंग करने के मामले में शिवसेना की उम्मीदवार सुरेखा ठाकरे के खिलाफ परतवाडा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया जा चूका है. इस चुनाव में प्रचार से पहले ही उम्मीदवारी घोषणाबाजी, अनुमती से अधिक वाहनो का प्रयोग किये जाने से चुनाव ताकदवर होने के संकेत मिलने लगे है. इस वर्ष पैसा बोल रहा है. अचलपुर विधानसभा चुनावी मैदान में ताकदवर पहलवान भी मैदान में होने से नए-नए हथकंडे अपनाए जाने की भी चर्चा है. चर्चा यह भी है की उम्मीदवारों के पास पैसों की बैंक होने से ज्यादा वोट बैंक होना अधिक महत्व रखता है. मतदाताओं का दिल जितना सबके बस की बात नहीं. चुनाव आयोग सभी बातों से अपनी नजर मैदान में रखा हुआ है.