Published On : Thu, Aug 9th, 2018

सरकारी तेल कंपनियां क्यों बनवा रही हैं सरदार पटेल की प्रतिमा

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कंपट्रोलर और ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया ने सरकारी तेल कंपनियों को पर सवाल उठाते हुए कहा है कि तेल कंपनियों ने गुजरात के तट पर सरदार वल्लभभाई पटेल की 3000 करोड़ रुपये की प्रतिमा बनाने पर कई करोड़ रुपये खर्च किए हैं. सीएजी के मुताबिक ओएनजीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल ने यह रकम अपने कॉरपोरेट सोशल रेसपॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत खर्च की है.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से प्रस्तावित इस प्रतिमा को बनाने के लिए सरकार की तरफ से प्रचार किया जा रहा है कि – स्टैच्यू ऑफ यूनिटी- लोहा कैंपेन-कहानी हर गांव की यानी प्रतिमा को बनाने के लिए जरूरी लोहा देश के कोने-कोने से आम आदमी द्वारा दिया जा रहा है.

वहीं इस प्रतिमा के लिए बनाई गई एक एड फिल्म के जरिए दावा भी किया जा रहा है कि देश के लौह पुरुष सरदार पटेल की इस प्रतिमा पर पूरे देश से लोहा एकत्र किया जा रहा है जिसमें किसानों द्वारा पुराने उपकरण जैसे फावड़ा, कुदाल, हल इत्यादि को गुजरात पहुंचाया जा रहा है.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि देशभर के किसानों से अभीतक 1 लाख 69 हजार लोहे के उपकरण एकत्र कर लिए गए हैं.

गौरतलब है कि 7 अगस्त 2018 को संसद में रखी गई सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी तेल कंपनियों द्वारा इतनी बड़ी रकम सरदार पटेल की प्रतिमा के लिए खर्च किया जाना गलत है. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सीएसआर नियमों के तहत कोई भी कंपनी किसी राष्ट्रीय धरोहर को बचाने के लिए सीएसआर फंड का इस्तेमाल कर सकती है लेकिन सरदार पटेल की निर्माणाधीन प्रतिमा राष्ट्रीय धरोहर नहीं है.

लिहाजा, तेल कंपनियों द्वारा इस प्रतिमा के लिए किसी तरह का योगदान नियमों के खिलाफ है. सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक ओएनजीसी ने 50 करोड़ रुपये, इंडियन ऑयल ने 21.83 करोड़ रुपये, बीपीसीएल, एचपीसीएल और ओआईएल ने 25 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इस प्रतिमा पर अपने सीएसआर फंड से योगदान किया है.

गौरतलब है कि 2,989 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के तहत सरदार पटेल की 182 मीटर कांसे की प्रतिमा का निर्माण, मेमोरियल, गार्डेन और श्रेष्ठ भारत भवन नाम से एक कन्वेंशन सेंटर का निर्माण किया जाना है. वहीं शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 2,063 करोड़ रुपये का बजट आंका गया था लेकिन अक्टूबर 2014 में पड़े टेंडर के बाद लार्सन और टूब्रो को 2,989 करोड़ रुपये में प्रतिमा के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई.