Published On : Wed, Nov 8th, 2017

बजट बड़ा लेकिन आर्थिक स्थिति से उबरने में नाकामयाब परिवहन विभाग

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Aapli Bus

Representational Pic

नागपुर: मनपा में यह पहली बार हो रहा है जब मनपा और परिवहन विभाग ने अलग अलग बजट पेश किया। दोनों का संयुक्त बजट 2200 करोड़ से अधिक का पेश हुआ। इस बजट के निर्माण में अनुदान को प्राथमिकता दी गई। खुद के आय स्त्रोत को बढ़ाने में प्रशासन असफल रही। इस मामले में स्थाई समिति अध्यक्ष ने प्रशासन को कड़ी फटकार भी लगाई, लेकिन उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगा। दूसरी ओर परिवहन विभाग के दिन गर्दिश में चल रहे हैं, आये दिन नए नए विवादों में रहना आम हो चुका है।

2 माह से वेतन नहीं 
परिवहन विभाग में 5-6 कर्मी कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किए गए हैं। उन्हें पिछले 2 माह से वेतन नहीं दिया गया है। इनमें से कुछ मनपा के पूर्व आधिकारी हैं, जिन्हें सेवानिवृति के बाद का बकाया नहीं मिला हैं, कब दिया जाएगा, यह वित्त विभाग को पता नहीं।

जीएसटी में उलझा विभाग 
महाराष्ट्र में परिवहन सेवा को जीएसटी से मुक्त रखा गया है फिर भी मनपा में कंडक्टर पूर्ति करने वाले को जीएसटी भरने को लिए बाध्य किया है। इस मामले को लेकर मनपा की ओर से परिवहन व्यवस्था की निगरानी करने वाली कंपनी डिम्ट्स ने मनपा विभाग को ठोस निर्णय लेने के लिए निवेदन किया है। अगर कंडक्टर आपूर्ति करने वाले को जीएसटी भरने की नौबत आई तो जीएसटी की राशि मनपा लौटाए। वहीं परिवहन विभाग ने जीएसटी से बचने के लिए राज्य सरकार से गुहार लगाई है।

ग्रीन बस का भ्रम
घोषणा की गई थी कि 55 ग्रीन बसें परिवहन विभाग के बेड़े में शामिल होंगी। 5 ग्रीन बस से शुरुआत हुई। 9 माह बाद 10 और बसें आने की घोषणा की गई। लेकिन हकीकत में 5 ही आ पाई आई। डिम्ट्स के अनुसार जिसका पंजीयन गत शुक्रवार को हुआ। इस बात की जानकारी परिवहन व्यवस्थापक जगताप को नहीं होना उनकी कार्यशैली का ताजा उदाहरण है।

न्यूनतम वेतन के नियम की अनदेखी
परिवहन विभाग में 4 बस ऑपरेटर, 2 कंडक्टर ऑपरेटर सभी पर निगरानी करने वाले डिम्ट्स सभी ठेकेदार कंपनियां हैं। वैसे मनपा में आधा दर्जन और ठेकेदार हैं, जिसके अंतर्गत सैकडों कर्मी कार्यरत हैं।इनमें से सिर्फ कनक रिसोर्स ही पिछले साल से न्यूनतम वेतन दे रहा है। परिवहन विभाग में 1500 के आसपास कंडक्टर हैं, इनमें से लगभग 700 को रोजाना काम मिलता है, शेष स्टैंडबाय हैं। स्टैंडबाय को काम पर तब रखा जाता है, जब अपने हुनर से डिम्ट्स चलते बस में तयशुदा कंडक्टरों पर कार्रवाई कर उनका ‘आईडी’ सील कर देते हैं।

सील ‘आईडी’ खुलवाने के लिए लगता हैं मेला
परिवहन विभाग की शह पर सील ‘आईडी’ खुलवाने के लिए मनमानी रकम वसूलते हैं और महीनों घर बैठाया जाता है। आईडी खुलवाने के लिए बर्खास्त कर्मी परिवहन प्रबंधक के पास आते हैं तो उन्हें खासकर महिलाओं को भलाबुरा सुनाते देखे गए हैं। रोजीरोटी के लिए मजबूर महिलाकर्मी सब सहती हैं पुनः बहाल होने के लिए। इन सभी बर्खास्त महिलाओं की मांग है कि परिवहन प्रबंधक को भी उनके व्यवहार के लिए निलंबित की जाए।