Published On : Mon, Feb 9th, 2015

पवनी : दुसरों का दुःख जानकर जीवन जीना बौद्ध धर्म का उपदेश – भदंत शोताई योकोयामा

Pavani  (2)
पवनी (भंडारा)। मानव के जीवन में श्रद्धा होनी जरुरी है. श्रद्धा को बढ़ने के लिए महासमाधी भुमी महास्तुप का निर्माण किया गया. महास्तुप देखकर जापान के विश्व प्रसिद्ध पिसे बौद्ध विहार याद आता है. श्रद्धा की भावना जपानी भारतीयों से सीखे और दूसरे का दुःख पहचानकर जीवन जीना ही बौद्ध धर्म का उपदेश है. ये विचार जपान के इच्छी वो तोयु उदो तेंदाई संघ के अध्यक्ष शोताई योकोयामा ने रुयाड (सिंदपुरी) में व्यक्त किये. महासमाधि महास्तूप के 8 वे वर्धापन दिन पर आयोजित विशाल धम्म महोत्सव में उद्घाटक थे. कार्यक्रम के अध्यक्षस्थान पर पत्र्त्रा मेत्ता संघ के अध्यक्ष भदंत संघरत्न मानके थे.

अपने अध्यक्षीय भाषण में संघरत्न मानके ने महास्तूप वास्तु भारत में सबसे बड़ी और आंतरराष्ट्रीय स्तर की होने से ये महास्तूप भारत-जपान के दोस्ती का प्रतिक है. सांसद नाना पटोले ने महास्तूप के लिए मदद करने का आश्वासन दिया. इस दौरान जपान के पत्र्त्रा मेत्ता संघ के सभापती भदंत खोशोताती, कार्याध्यक्ष भदंत शोझे आराही, उपाध्यक्ष खोदो कोदो, अ.भा. भिक्कू संघ के संघनायक भदंत सदानंदजी, सां. नाना पटोले, वि. रामचन्द्र अवसरे, वि. जोगेन्द्र कवाडे, सिंदपुरी सरपंच प्रमोदिनी खोब्रागड़े, मोहन पंचभाई उपस्थित थे.

इससे पहले रुयाड के सम्राट अशोक बुद्ध विहार से सिंदपुरी बौद्ध विहार से महास्तूप तक धम्म रैली निकाली गई. स्तूप में जपानी, भारतीय, तिब्बती तरीके से पूजा की गई. पत्र्त्रा मेत्ता संघ की ओर से आ.भा. भिक्कू संघ के संघनायक भदंत सदानंद ने 75 वर्ष पूर्ण होने से पत्र्त्रा मेत्ता पीठक और  समाज में अच्छे कार्य करने से डा. अंगराज चौधरी और वासंतीताई सरदार ने मेत्ता पीठक पुरस्कार देकर सम्मानित किया है.  बालसदन के पूर्व विद्यार्थियों ने जपान के अतिथियों को दानराशि दी गई. 4 हजार किमी सायकल चलाकर तिब्बत की स्वतंत्र ता के लिए जनजागृती करने वाले सन्देश मेश्राम का सम्मान किया गया.

Gold Rate
13 Sept 2025
Gold 24 KT ₹ 1,09,800 /-
Gold 22 KT ₹ 1,02,100 /-
Silver/Kg ₹ 1,29,000/-
Platinum ₹ 48,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

Pavani  (1)
बालसदन विद्यार्थियों ने स्वागत गीत गाया. कार्यक्रम का प्रास्ताविक डा. बालचंद्र खांडेकर, संचालन पूर्व न्यायाधीश महेंद्र और आभार प्रदर्शन लोमेश सुर्यवंशी ने किया. कार्यक्रम में उपस्थित रहने के लिए सुबह से बौद्ध उपासक और उपासिका सफ़ेद वस्त्र पहनकर उपस्थित थे. दोपहर तक उनकी संख्या 2 लाख पर गई. सम्पूर्ण वातावरण बौद्धमय हुआ था. कार्यक्रम की सफलता के लिए मनोहर मेश्राम ब्रम्ही, शिलरत्न कवाडे, जयराज नाईक, बाबुराव वाघमारे, प्रज्ञानंद कवाडे, राजकुमार वंजारी, गजेन्द्र गजभिये, पंकज गोंडाने, रमेश मोटघरे आदि ने विशेष प्रयास किया.

Advertisement
Advertisement