Published On : Tue, Jan 16th, 2018

स्वच्छ भारत अभियान पर मंगलवारी ज़ोन लगा रहा धब्बा

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नागपुर: कोराडी मार्ग पर इटारसी रेलवे लाइन के बाद और कोराडी चुंगी नाका के पहले बायीं ओर का क्षेत्र मनपा प्रशासन के उचित नियोजन नहीं किेए जाने से मंगलवारी और आशीनगर जोन के मध्य पेंडुलम की भांति लटक रहा है. परिसर के सैकड़ों नागरिक संपत्ति कर भरते हैं लेकिन जब सुविधाएं देने की बात जब मनपा प्रशासन पर आती हैं तो उक्त दोनों ज़ोन एक-दूसरे पर उंगलियां उठाकर अपना पल्ला झड़क देते हैं.

मनपा चुनाव पूर्व यह परिसर प्रभाग १ अंतर्गत हुआ करता था लेकिन पिछले चुनाव के दौरान राजनीतिक समीकरण ज़माने के चक्कर में यह क्षेत्र प्रभाग ११ में जोड़ दिया गया.चुनाव ख़त्म होते ही उक्त दोनों जोन ने रोजाना-नियमित सेवाएं देने से मुकर गए.

आज आलम यह है कि पास ही के अवैध बस्ती में नियमित पानी, बिना जरूरत के सरकारी सुलभ शौचालय, बिजली, सड़क और उनके गंदे पानी खुले बरसाती नाले में छोड़ आसपास बदबू के साथ उनके बीमारियों को पाव पसारने का मौका दे रहे हैं.

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मंगलवारी ज़ोन में सैकड़ों निवेदन के बाद भी इन परिसरों में रोजाना न कचरे उठाया जाता है. न नालों से गंदे पानी की सरल तरीके से निकासी व्यवस्था की जाती है. न कनक कचरे उठाने आते और न ही जोनल स्वास्थ्य अधिकारी या कर्मी दौरा कर मामला सुलझाने का प्रयास करते हैं.

जमा पानी और गंदगी पर दवा का छिड़काव और फॉगिंग मशीन की पिछले डेढ़ माह से मलेरिया-फलेरिया विभाग से मांग पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. खानापूर्ति के लिए हैंडी फॉगिंग मशीन लेकर क्षेत्र में भेजा गया, जहां मशीन की आवाज के विरोधी जानवरों ने फॉगिंग करने वाले कर्मी को खदेड़ दिया।इस चक्कर में मशीन के साथ कर्मी का भी नुकसान हुआ. फिर उक्त विभाग ने शिकायतकर्ता को समझाने के लिए अपने विभाग के कर्मियों को भेजा बजाय फॉगिंग करने का समाचार लिखे जाने तक परिसर में जानलेवा मच्छरों का आतंक है.

कनक को मनपा प्रशासन का इतना शह हैं कि वह नियमित शहर सिमा में कचरे संकलन करने के बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देते पाए गए. लेकिन करदाताओं के क्षेत्रों से रोजाना कचरा संकलन का कार्य उन्हें गवारा नहीं। कनक भारी-भरक्कम कचरे उठाने के लिए आतुर रहता है, उन्हें ऐसे काम कहीं के भी मिले वे अविलम्ब करते पाए गए. क्योंकि उन्हें वजन के हिसाब से भुगतान होती है.

यही आलम रहा तो इस बार कनक की वजह से मनपा को स्वच्छ भारत अभियान में गच्चा खाने की नौबत आ सकती है, तब उन्हें कनक को काली सूची में डालने के सिवाय कोई पर्याय नहीं होगा.

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