नागपुर: केंद्र और राज्य में सत्ताधीश भारतीय जनता पार्टी में बग़ावत का सिलसिला जारी है। एक और केंद्र में जहाँ वरिष्ठ नेता अपनी ही सरकार की बखिया उधेड़ने में लगे है वही दूसरी तरफ महाराष्ट्र में भंडारा-गोंदिया संसदीय सीट से सांसद नाना पटोले अपनी ही सरकार और नेताओं के कामकाज़ की सार्वजनिक मंचों से खिल्ली उड़ाते नज़र आ रहे है। किसान,ओबीसी और सर्वसामान्य से जुड़े मसलों पर पटोले ने आक्रामक रुख अपनाया है। अपने संसदीय क्षेत्र में रावण दहन उत्सव में फिर एक बार उन्होंने हुंकार भरी।
राज्य की फडणवीस सरकार पर जबरजस्त प्रहार करते हुए पटोले ने कहाँ की नागपुर की वजह से गोंदिया जिले का विकास इन दिनों पागल हो गया है। उन्होंने कहाँ विडिओकॉन और अदानी जैसी कंपनियों के बावजूद बेरोजगार युवको की समस्या कम नहीं हुई है। हालही उनके कार्यकाल में भेल कारखाने के निर्माण और उससे उत्पन्न होने वाले रोजगार का जिक्र करना वह नहीं भूले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए नोटबंदी और जीएसटी के फैसले की वजह से आर्थिक मंदी का खतरा निर्माण हो गया है। जिस पेट्रोल को 40 रुपये में जनता को उपलब्ध होना चाहिए उसके लिए जनता से 80 रूपए वसूले जा रहे है। बीते कुछ दिनों से नाना पटोले द्वारा अपनाया गया रुख चौकाने वाला है। मगर जानकारों की माने तो वह अपनी तरफ से सेफ गेम खेल रहे है।
कहाँ जा रहा है की 2019 में अपनी टिकिट कटने की सूरत में वह विकल्प का रास्ता अभी से बना चुके है। चर्चा है की जिस तरह का रास्ता कांग्रेस से अलग होकर नारायण राणे ने अपनाया वैसा वह भी अपना सकते है। खबर यह भी चल रही है की विदर्भ से आने वाले कुछ निर्दलीय विधायक अपनी अलग पार्टी या मोर्चा बनाने की तैयारी में है। अगर यह भी नहीं हुआ तो उनके लिए शिवसेना के दरवाजे तो खुले ही है।