नागपुर: भारतीय जनता पार्टी को किसानों के दुखों से, उनके जीने मरने से, उनकी आत्महत्या से कोई लेना देना नहीं है. सरकार की ओर से कोई भी निर्णय नहीं लिया जा रहा है. इसलिए आम जनता को भी अब भाजपा सरकार केवल तारीख पर तारीख देते हुए ही नजर आ रही है. यह टिपण्णी पूर्व मंत्री और नागपुर जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेंद्र मुलक ने सरकार से की है. मुलक ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा अगर सही मायनों में अगर किसानों के पक्ष में होती तो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानो पर सरकार लाठियां नहीं बरसाती. अपने आपको किसानों का हितैषी बतानेवालेभाजपा नेता इतने विचलित कैसे हुए. महाराष्ट्र व मध्यपप्रदेश में शुरू हुई किसानों की लड़ाई समाज में व्याप्त आम गुस्से को दर्शा रही है. राज्य सरकार की छोटा और बड़ा किसान को लेकर अपनाई गई भूमिका विदर्भ और मराठवाड़ा के किसान के साथ जनता पर अन्याय करनेवाली है.
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र और विदर्भ में सूखाग्रस्त किसानों की संख्या ज्यादा है. यहां के किसानों के पास औसत खेती का आकार पास पांच एकर से ज्यादा है. ऐसे में केवल अल्पभूधारक किसानों को ही कर्ज माफी देने की भूमिका विदर्भ और मराठवाड़ा के किसानों के साथ अन्याय है. उन्होंने भाजपा के नेताओं को अपनी बात जनता के सामने आकर रखने की मांग की. उन्होंने किसानों के सम्पूर्ण कर्जमाफ़ी की मांग की है.
मुलक ने कहा कि कर्जमाफी और सातबारा कोरा करने के अलावा कोई पर्याय नहीं होने की वजह से भाजपा सरकार किसानों में फूट डालने का कार्य कर रही है. शिवसेना के किसान आंदोलन समर्थन को उन्होंने शिवसेना का नाटक करार दिया. सत्ता छोड़नी नहीं है और किसान आंदोलन को समर्थन देना है. शिवसेना को अगर किसानों के आंदोलन को समर्थन देना है तो पहले वो सत्ता छोड़े.
