Published On : Thu, Mar 14th, 2019

गोंदिया-भंडारा लोकसभा : कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के पाले में जाता रहा है जनादेश

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नागपुर- गोंदिया- भंडारा संसदीय क्षेत्र के मतदाता कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के पक्ष में मतदान कर उसे विजयी बनाते आए हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि, यहां के वोटरों का रुझान कभी भी किसी एक दल के साथ नहीं रहा. 1952 में हुए पहले आम चुनाव में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित भंडारा से कांग्रेस के तुलाराम साखरे चुने गए थे. वहीं खुले प्रवर्ग से कांग्रेस के चतुर्भुज जसानी लोकसभा पहुंचे.1957 में हुए दूसरे चुनाव में भंडारा से कांग्रेस के बालकृष्ण वासनिक ( आरक्षित वर्ग ) से लोकसभा पहुंचे. वहीं खुले प्रवर्ग से रामचंद्र हर्जनवीस ने बाजी मारी थी. 1962 के चुनाव में रामचंद्र हर्जनवीस दोबारा चुनाव जीतने में सफल रहे थे. फिर 1966 में कांग्रेस के ए.आर.मेहता विजयी हुए वहीं 1971 में विशम्बरदास ज्वालाप्रसाद दुबे जीते.

1977 के बाद कांग्रेस का गढ़ टुटा

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वर्ष 1977 में कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकल गई और लक्ष्मणराव मानकर ( भारतीय लोक दल ) की टिकट पर जीते. वहीं 1979 में दोबारा कांग्रेस की टिकट पर केशवराव पारधी चुने गए. वो 1984 में दोबारा जीत दर्ज करने में कामयाब रहे.

राममंदिर आंदोलन से मिली क्षेत्र में भाजपा को ताकत

1979 में दो सीटोंवाली भारतीय जनता पार्टी का राममंदिर आंदोलन को लेकर उदय हुआ और पार्टी ने भाजपा टिकट पर खुशाल बोपचे को भंडारा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा. जिन्होंने धमाकेदार जीत दर्ज की.

प्रफुल पटेल ने मारी जीत की हैट्रिक

प्रफुल पटेल को राजनीती पिता स्व. मनोहरभाई पटेल से विरासत में मिली. प्रफुल पटेल ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1985 में की. जब वे महाराष्ट्र के गोंदिया नगर परिषद् के अध्यक्ष बने, गोंदिया नगराध्यक्ष रहते हुए उन्होंने ख्याति अर्जित की. 1991 में कांग्रेस की टिकट से प्रफुल पटेल लोकसभा चुनाव जीते. वो भंडारा संसदीय क्षेत्र से लगातार 1996, 1998 में चुनाव जीतकर तिसरी बार लोकसभा पहुंचे.

कांग्रेस छोड़ प्रफुल पटेल ने राष्ट्रवादी का दामन थामा

1999 में शरद पवार, तारिक अनवर और पी.ए संगमा ने सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा उछाला और कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठन किया. पार्टी गठन के कुछ ही वक्त पश्चात प्रफुल पटेल, शरद पवार के कहने पर राष्ट्रवादी में आ गए. तब बीजेपी के उम्मीदवार चुन्नीलाल ठाकुर गोंदिया- भंडारा संसदीय क्षेत्र से सांसद बने और 2004 में बीजेपी ने अपना दबदबा तथा शिशुपाल पटले ने लम्बे अंतर से प्रफुल पटेल को हराकर यह सीट बीजेपी की झोली में डाली. हार के बावजूद प्रफुल पटेल राज्यसभा से संसद भवन पहुंचे और उन्हें मनमोहन सरकार ने नागरी उड्डयन मंत्री का स्वतंत्र प्रभार मिला.

त्रिकोणीय मुकाबले में नाना पटोले को प्रफुल पटेल ने दी शिकस्त

2009 के चुनाव में गोंदिया-भंडारा संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. नाना पटोले यह टोपली चुनाव चिन्ह पर बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे और उन्होंने 2 लाख 37 हजार 899 वोट 23.8 प्रतिशत के साथ हासिल किए. वहीं बीजेपी के शिशुपाल पटले को केवल 1 लाख 58 हजार 938 ( 15. 42 ) से ही संतुष्ट करना पड़ा उनकी जमानत जब्त हो गई. इसी तरह प्रफुल पटेल ने 4 लाख 89 हजार 814 वोट ( 47. 52 %) प्रतिशत के साथ धमाकेदार जीत दर्ज की. इस चुनाव में बीएसपी की सीट से भाग्य आजमाने उतरे वीरेंद्र जायसवाल को 68,246 ( 6.% ) प्रतिशत वोट प्राप्त हुए.

मोदी लहर में नाना पटोले के हाथों प्रफुल पटेल हारे

2014 लोकसभा चुनाव पूर्व कांग्रेस छोड़कर नाना पटोले ने भाजपा का दामन थामा और मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी की टिकट से 6 लाख 6 हजार 129 ( 50.62 % ) वोट प्राप्त कर केंद्रीय मंत्री प्रफुल पटेल को लगभग डेढ़ लाख वोटों से हराया. कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रफुल पटेल को 4 लाख 56 हजार 875 वोट (38. 16 ) प्राप्त हुए थे.

2018 में नाना ने बीजेपी छोड़ी मधुकर कुकड़े को चुनाव जिताया

2018 में नाना पटोले का भाजपा से मोहभंग हो गया और उन्होंने लोकसभा सीट से अपना इस्तीफा दे दिया. चुनाव आयोग ने उपचुनाव घोषित किए. मई 2018 से गोंदिया- भंडारा संसदीय क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस- एनसीपी गठबंधन से मधुकरराव कुकड़े को उमेदवार बनाया गया. नाना पटोले ने चुनाव में पूरी ताकत झोक दी और घडी के चुनाव चिन्ह पर भाग्य आजमा रहे मधुकरराव कुकड़े को 4 लाख 42 हजार 213 (46. 61 % ) वोट प्राप्त हुए. वही भाजपा के हेमंत पटले (तानुभाऊ ) को 3 लाख 94 हजार 116 ( 41.54 %) वोट प्राप्त हुए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

अब 2019 पर टिकी निगाहें

अब यह सवाल उठने लगे है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या भाजपा 2014 का 50.62 प्रतिशत वोट हासिल करने का प्रदर्शन दिखा पाएगी. जानकारों की माने तो मोदी हैं तो मुमकिन है. क्योंकि इस बार के चुनाव राष्ट्रवाद बनाम परिवारवाद के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं. एक तरफ कांग्रेस का परिवारवाद है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक-2 के बाद राष्ट्रवाद का मुद्दा हर भारतीय के जहन पर छाया हुआ है. जिसका लाभ भाजपा को मिल सकता है. हालांकि भाजपा ने उमेदवार को लेकर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वहीं मधुकरराव कुकड़े को विजयश्री दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नाना पटोले भी कद्दावार नितिन गडकरी को चुनौती देने के लिए नागपुर लोकसभा से कांग्रेस के उमेदवार घोषित कर दिए गए हैं.

ऐसे में भंडारा नागपुर इन दोनों लोकसभा सीटों पर मतदान 11 अप्रैल को होना है. तो ऐसे में नाना पटोले के प्रचार सभाओ के बिना ही प्रफुल पटेल और उसके खेमे को ताकत झोकनी होगी. क्या होंगे परिणाम. इस पर वोटरों के साथ राजनीती के जानकारों की भी निगाहें टिकी है. उल्लेखनीय कि, प्रफुल पटेल ने कहा है कि, अगर पार्टी अध्यक्ष शरद पवार कहेंगे तो वे चुनाव जरूर लड़ेंगे.

By Ravi Arya

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