– पिछले दिनों भारी वर्षा से न सिर्फ जिले बल्कि शहर भी डूब गया था
नागपुर – अब तक बरसात के मौसम में भंडारा जिले का ग्रामीण इलाका अर्थात नदी किनारे का अधिकांश हिस्सा प्रभावित हुआ करता था लेकिन पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण शहर समेत सम्पूर्ण जिला जलमग्न ही नहीं हुआ बल्कि नागरिकों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा.जिसका कुछ दिन बाद निरिक्षण करने राज्य के मदद व पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टीवार खुद आए और गंभीरता से जायजा लिया।दूसरी ओर जिले के पालकमंत्री डॉक्टर विश्वजीत कदम मानसून अधिवेशन के पूर्व कुछ घंटों के लिए खानापूर्ति करने आए और फिर नहीं लौटे।
सूत्र बतलाते हैं कि हाई प्रोफ़ाइल पालकमंत्री कदम को विदर्भ में कोई रूचि हैं.शुरूआती दिनों जब वे राज्य युवक कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे तो अधिकांश नागपुर के होटल में ही सभी को बुलाकर बैठक लेकर लौट जाया करते थे.
भंडारा के एक अनुभवी कांग्रेसी ने जानकारी दी कि इस दफे उनकी मंशा राज्य में कैबिनेट मंत्री बनने की थी,जिसके लिए पुरजोर भी लगाए थे,लेकिन विदर्भ से एक और कैबिनेट मंत्री बनाने के निर्णय के कारण वे कैबिनेट मंत्री बनने से चूक गए.
यहाँ तक की उन्हें मिली राज्यमंत्री के तहत मिली विभागों पर भी उनकी रूचि नहीं इसलिए उनकी पकड़ भी ढीली हैं.फिर चाहे राशन विभाग ही क्यों न हो. कदम विभिन्न विभागों के राज्य मंत्री के साथ पालकमंत्री के रूप में अपना हुनर दिखाने के बजाय अन्य मार्गों से अपने पक्ष के आलाकमान को रिझाने में लीन हैं.
वहीं दूसरी ओर विदर्भ के जिलों खासकर भंडारा जिले के प्रति व्यक्तिगत रूचि रखने वाले पूर्व पालकमंत्री एवं वर्त्तमान में राज्य के मदद व पुनर्वसन मंत्री वडेट्टीवार ने गत दिनों जायजा लिया और जिलाधिकारी को निर्देश भी दिए.जबकि किसी भी जिले में राज्य के मंत्री का वह भी खास अवसर पर तो जिले के पालकमंत्री विशेष रूप से उपस्थित रहते दिखें,कारण जिले की उन्हें विस्तृत जानकारी होती हैं.पालकमंत्री के सुझाव या मांग पर सम्बंधित मंत्री विशेष ध्यान देता देखा गया.लेकिन कदम राज्य मंत्री रहते हुए कैबिनेट मंत्री वडेट्टीवार के दौरे पर अनुपस्थित रह कर उन्होंने न सिर्फ मंत्री के प्रति बल्कि भंडारा जिले के नागरिकों के प्रति अपनी गंभीरता का परिचय दिया।
पिछले सप्ताह कदम ने अचानक दौरा इसलिए किया था क्यूंकि मानसून अधिवेशन शुरू होने वाला था,जिले के ही वरिष्ठ विधायक विधानसभा अध्यक्ष हैं,उनसे अप्रत्यक्ष रूप से पालकमंत्री की नहीं बनती क्यूंकि कदम की दोस्ती विरोधी पक्ष के विधायकों संग हैं,जो विधानसभा अध्यक्ष के कट्टर विरोधी हैं.मानसून अधिवेशन में उनके खिलाफ आवाज न बुलंद हो जाये इसलिए वे एकदिवसीय दौरा कर लौट गए.पक्ष के कार्यकर्ता में आक्रोश न पनपे इसलिए वर्त्तमान में जरुरत २ ट्रक सामग्री भेज खानापूर्ति कर दिए.
जिले में इसलिए भी नहीं भटकते क्यूंकि जिले में रेत माफिया का कब्ज़ा हैं,जिसे सर्वपक्षीय नेताओं का वरदहस्त प्राप्त हैं.ऐसा ही रहा तो बिना पालकमंत्री के स्थानीय विधायकों को अपने बल पर जिले के लिए जिले के प्रलंबित मांगों को पूर्ण करने हेतु मार्ग प्रसस्त करनी होंगी।
स्थानीय सर्वपक्षीय कार्यकर्ताओं ने जिले का पालकमंत्री हटाने की मांग की हैं.