
भंडारा। ज़िले के जवाहर नगर स्थित आयुध निर्माणी ( ऑर्डनेंस फैक्ट्री ) में एक बार फिर धमाका , कल रात हुआ विस्फोट, सुबह फैक्ट्री में मची हलचल।क्या ये मशीन की चूक है, या सिस्टम की लापरवाही? रात करीब 8:30 बजे भंडारा के जवाहर नगर आयुध निर्माणी के एनआर सेक्शन में अचानक जोरदार धमाके की आवाज़ सुनाई दी।
लोडिंग और अनलोडिंग का काम चल रहा था तभी बारूद के साथ एक अज्ञात विस्फोट हुआ। चिंगारियां उड़ीं, धुआँ उठा और मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई!
लेकिन किस्मत अच्छी थी- धमाका मामूली था, नहीं तो 2021 जैसी त्रासदी दोहराई जा सकती थी। दमकल विभाग की फुर्ती ने बड़ा हादसा टाल दिया।
फायर टीम मौके पर पहुँची, सेक्शन को सील किया गया और विस्फोटक सामग्री को ठंडा करने का काम शुरू हुआ। कंट्रोल रूम से मिली सूचना के बाद 15 मिनट के भीतर आग पर काबू पा लिया गया। विस्फोट की तीव्रता बहुत कम थी, किसी कर्मचारी को कोई नुकसान नहीं हुआ है फिलहाल जांच की जा रही है।
मशीन की गलती या मानवीय लापरवाही
इस “कम तीव्रता के धमाके” के पीछे कितनी लापरवाही छिपी है ये अब जांच का विषय बन गया है।बता दें कि 2021 में हुए विस्फोट में 8 कर्मचारियों की मौत के बाद कहा गया था कि सुरक्षा मानक सुधारे गए हैं।मगर आज भी सवाल वही , क्या सुरक्षा ऑडिट सिर्फ कागज़ों में रह गया? क्या पुराने विस्फोटक पदार्थ अब भी डंप में पड़े हैं? और क्या एनआर सेक्शन में सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन होता भी है? उल्लेखनीय की निजीकरण के बाद सुरक्षा प्रोटोकॉल में बदलाव का दावा किया गया था
बताया जाता है कि फैक्ट्री के इस हिस्से में हर दिन टन के हिसाब से बारूद की हैंडलिंग होती है।इतने संवेदनशील क्षेत्र में अगर धमाका होता है तो ये सिर्फ तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि एक ‘सेफ्टी सिस्टम फेल्योर’ का मामला है।”सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, घटना के वक्त चार कर्मचारी मौजूद थे उनके बयान दर्ज किए जा चुके हैं।प्रारंभिक रिपोर्ट में “स्टैटिक चार्ज” से हुए विस्फोट की आशंका जताई गई है,लेकिन जांच टीम इस बात की भी तहकीकात कर रही है कि क्या लोडिंग यूनिट में विस्फोटक की ओवर कैपेसिटी या गलत मिक्सिंग तो नहीं हुई थी।
ऐसे में सवाल बड़ा है-
क्या भंडारा आयुध निर्माणी में फिर से ‘सुरक्षा’ शब्द की कीमत चुकानी पड़ेगी या इस बार जिम्मेदारी तय होगी ?
रवि आर्य








