नागपुर: मार्च में होने वाली आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाहक का चयन होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में वरिष्ठता के आधार पर सरकार्यवाहक का पद दूसरे नंबर का है। सरकार्यवाहक संस्था के मुख्या प्रशासक भी होते है। रेशमबाग स्थित स्मृति मंदिर में 9 से 11 मार्च के दरमियान आयोजित होने वाली प्रतिनिधि सभा में नए सरकार्यवाहक का चयन किया जायेगा। फ़िलहाल इस पद की जिम्मेदारी भैयाजी जोशी के पास है जो बीते तीन टर्म से यह दायित्व संभाल रहे है। क्या चौथी बार भी वह यही जिम्मेदारी संभालेंगे इस पर सभी की निगाहें लगी हुई है वैसे संभावना प्रबल है की वह फिर से सरकार्यवाहक बन सकते है।
संघ के संगठनात्मक ढाँचे में सरकार्यवाहक का पद अहम है। नई नीति निर्धारण के साथ महत्वपूर्ण फैसले लेने का अधिकार सरकार्यवाहक के पास ही होता है। संघ की प्रतिनिधि सभा हर वर्ष होती है लेकिन तीन वर्ष बाद होने वाली सभा खास होती है। इस सभा में संगठनात्मक चुनाव होते है। देश भर से चुनकर आये अखिल भारतीय प्रतिनिधि चुनाव में भाग लेते है। इसी सभा में रिक्त पदों को भी भरा जाता है। तीन वर्ष में एक बार होने वाली सभा के दौरान देश भर के मुद्दों पर चर्चा की जाती है। किसी विषय को लेकर संघ की सोच को प्रदर्शित करने के लिए प्रस्ताव भी पारित किये जाते है।
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले होने वाली इस सभा को अहम माना जा रहा है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश,सरकार की निजीकरण की निति जैसे कई मुद्दों को लेकर संघ के विभिन्न संगठन सरकार के ख़िलाफ़ बिगुल फूंक चुके है। अपेक्षा के अनुरूप संघ संगठनात्मक रूप से काफी मजबूत हुआ है। माना यही जा रहा है की भैयाजी जोशी फिर सरकार्यवाहक बनाए जा सकते है। पर नए नामों जिनमे सहसरकार्यवाहक दत्तात्रय होसबले,सुरेश सोनी,कृष्णगोपाल के नामों पर भी विचार हो सकता है। सरकार्यवाहक के चयन के बाद संघ की नई कार्यकारणी का ऐलान किया जायेगा। संघ के इतिहास में अब तक कभी भी सरकार्यवाहक के पद के लिए चुनाव नहीं हुआ है।