भोला चुग की आत्महत्या ने नागपुर के सुपारी व्यापारियों की काली सच्चाई को उजागर कर दिया है। सुपारी व्यापारियों का कहना है कि ईश्वर चुग ने व्यापार का पैसा लौटाया नहीं, बल्कि क्रिकेट सट्टेबाजी में गंवा दिया। सूत्रों के अनुसार, ईश्वर ने निशांत जैन, जग्गू, मुकेश चंदीरामानी, सुमित खत्री, विजय अलानी और अपने मामा रवि टुटेजा के पास भारी रकम हार दी थी। लेकिन, इंसानी जिंदगी आर्थिक व्यवहार से कहीं अधिक कीमती होती है। भोला चुग को मजबूर होकर मौत को गले लगाना पड़ा।
भोला की सुसाइड नोट से पता चलता है कि नागपुर, सुपारी तस्करी और टैक्स चोरी का केंद्र बन चुका है। हमारे सूत्रों ने खुलासा किया था कि अन्न और औषधि विभाग तथा स्थानीय पुलिस की निगरानी में यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। नागपुर जैसे नेताओं के गृह जिले में यह गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है।
व्यापारियों की मिलीभगत
व्यापारी, नेताओं के सामने ईमानदारी का दिखावा करते हैं, लेकिन विदेशों से आयातित सड़ी सुपारी पर टैक्स चुराकर, उसे बाजार में ऊंचे दामों पर बेचते हैं। इस गोरखधंधे में अन्न और औषधि विभाग तथा पुलिस विभाग को हर महीने मोटी रिश्वत दी जाती है। नागपुर टुडे जल्द ही इस मामले में सबूतों के साथ बड़ा खुलासा करेगा।
कोल्ड स्टोरेज की भूमिका
हेमनानी के प्रीति कोल्ड, लक्ष्मी कोल्ड, वाधवाणी के कोल्ड स्टोरेज, फार्मिको, सोनू मोनू कोल्ड, नवकार कोल्ड, हिमालया कोल्ड सहित अन्य गोदाम इस तस्करी में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। लकड़गंज, कलमना, शांतिनगर और हुड़केश्वर थानों के अंतर्गत इन गोदामों में अवैध व्यापार जारी है।
असम-नागपुर लाइन
असम से रोजाना सड़ी सुपारी नागपुर लाई जाती है, जो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक पहुंचाई जाती है। अरबों की टैक्स चोरी में शैलेन्द्र कामनानी, राजू अन्ना शिनोय, राजेश डागा, राजेश पहुजा, पप्पू गोयल, अनीस, घनश्याम अमेशर, मुन्नवर गाजी, आरिफ बन्दुकिया, राजू वंशानी, हारु कृष्णानी, अनमोल कृष्णानी, सुनील मोटवानी, और सफीक मारफानी जैसे लोग शामिल हैं। सरकारी एजेंसियां और पुलिस यदि कड़ी नजर रखें, तो इस अवैध कारोबार पर रोक लगाई जा सकती है।
निष्कर्ष
भोला चुग की आत्महत्या ने सुपारी तस्करी और टैक्स चोरी की व्यापक समस्या को उजागर किया है। जरूरी है कि पुलिस और प्रशासन इस पर सख्त कार्रवाई करें, ताकि निर्दोषों की जान न जाए और देश की अर्थव्यवस्था सुरक्षित रहे।
… Narendra Puri